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देखते ही बन रहा नलसर झील का नजारा

सहयोगी, मंडी : मंडी जिला की बल्ह घाटी की नलसर झील में इन दिनों कुदरत की अनूठी बहार आई हुई है। इस गां

By Edited By: Published: Fri, 01 Jul 2016 05:49 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2016 05:49 PM (IST)

सहयोगी, मंडी : मंडी जिला की बल्ह घाटी की नलसर झील में इन दिनों कुदरत की अनूठी बहार आई हुई है। इस गांव में कुदरत ने जमकर मेहरबानी की हैं। सरकार व पर्यटन विभाग की नजर ए इनायत हो जाए तो यह स्थल बेहतरीन पर्यटन व पिकनिक स्थल के रूप में उभर सकता है। बल्ह की नलसर पंचायत भी इसी झील के नाम से नामांकित है। 57 बीघा यानी 45600 वर्ग मीटर में फैली यह झील इन दिनों कमल के फूलों से गुलजार है।

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मंडी से बग्गी वाया गागल नलसर होकर चलने वाले वाहनों के चालक यहां इन दिनों यकायक ब्रेक लगाकर इस नजारे को देखते हैं। एक तरफ जहां पूरी झील कमल के फूलों के रंग व हरियाली से लबालब है तो दूसरी तरफ प्रवासी पक्षियों ने भी इस चार चांद लगा दिए हैं।

इस झील का संबंध राजा नल से रहा है। उनके द्वारा इसका निर्माण किए जाने से ही इसे नलसर का नाम मिला है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि इस झील को संवारा जाए तो यह बेहतरीन पर्यटन व पिकनिक स्थल के रूप में उभर सकती है। इसके आसपास पूरा क्षेत्र सुंदर है समतल है, पीछे दूर पहाड़ों का नजारा है, बल्ह के 12 महीने फसल से लहलहाते खेत हैं।

पर्यटन विभाग के उपनिदेशक मंडी नीरज गुप्ता का कहना है कि नलसर झील का विकास करने का मामला ध्यान में है। झील के चारों ओर नर्म मिट्टी को थामने के लिए एक योजना बनाई गई है। इसके लिए आठ लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं। विकास खंड अधिकारी बल्ह के माध्यम से यह काम पंचायत द्वारा करवाया जा रहा है। यह काम जल्द हो इसके लिए पंचायत व विकास खंड अधिकारी को कहा गया है। चार लाख रुपये इसके लिए दे दिए गए हैं।

नलसर पंचायत के प्रधान विनोद कुमार ने बताया कि चार लाख की लागत से झील के चारों ओर पत्थरों की दीवार से लाइ¨नग की जा रही है। बाकी चार लाख मिल जाने से काम को आगे जारी रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि यह पैसा कम है क्योंकि यह झील बहुत बड़े दायरे में है और पत्थरों की दीवार के साथ साथ इसमें रे¨लग भी लगाई जानी प्रस्तावित है ताकि पर्यटक व पिकनिक आदि पर आने वाले लोग चारों तरफ बैठ सके, घूम सकें, नजारा देख सकें। उन्होंने कहा कि पहले यहां पर मत्स्य पालन के लिए पंचायत हर तीन साल के लिए इसे लीज पर देती थी मगर अब यह बंद है।


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