स्नो फेस्टिवल को यादगार बनाने में जुटा प्रशासन
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जागरण संवाददाता, केलंग : सर्दियों में कष्ट भरे दिन झेलने वाले लाहुल घाटी के लोगों के लिए अटल टनल रोहतांग वरदान साबित हुई है। हालांकि हर साल घाटी के लोग सर्दियों में विभिन्न त्योहार आयोजित करते है लेकिन इस साल लाहुल-स्पीति प्रशासन इन सब त्योहारों को एक ही प्लेटफॉर्म देने जा रहा है। त्योहारों के दौरान आयोजित होने वाले पारंपरिक खेल को प्रशासन यादगार बनाने जा रहा है। जनवरी के अंत में आयोजित होने जा रहे स्नो फेस्टिवल को रौचक बनाने की तैयारी शुरू हो गई है।
प्रशासन जल्द ही इसकी तिथि निर्धारित करने जा रहा है। इस दौरान घाटी के मशहूर पर्यटन स्थल जिस्पा, सिस्सु व जोबरंग में आइस स्केटिंग रिंक बनाने जा रहा है। अटल टनल खुलने के बाद प्रदेश सरकार भी शीत मरुस्थल में विटर टूरिज्म को बढ़ावा देने की बात कर चुकी है।
तकनीकी शिक्षा मंत्री डा. रामलाल मार्कंडेय इन सब आयोजन को लेकर कमान संभाले हुए हैं। लाहुल घाटी के फागली, हालड़ा, लोसर, कुन्स, जुकारु, गोची, पूना, लामोही जैसे प्रमुख त्योहार हैं। यह सभी त्योहार सर्दियों में ही मनाए जाते हैं और हर जगह इनके मनाने का रिवाज अलग अलग है। एक ही त्योहार के अलग अलग रिवाज होने का कारण मुख्य कारण भारी बर्फबारी है। इन त्योहारों के दौरान तीरअंदाजी सबसे आकर्षक व रौचक है। गोची उत्सव में यह खेल सबसे अधिक लोकप्रिय है।
उपायुक्त लाहुल-स्पीति पंकज राय ने बताया कि सभी त्योहारों को मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम से देश विदेश तक पहुंचाया जाएगा और पर्यटन से भी जोड़ा जाएगा। स्नो फेस्टिवल की जल्द ही तिथि निर्धारित कर दी जाएगी।
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एक त्योहार को अलग रीति रिवाज से मनाना थी मजबूरी
लाहुल के इतिहासकार मोहन रेलिगपा का कहना है कि एक ही त्योहार को अलग अलग रूप मे मनाना लोगों की मजबूरी थी। घाटी में आठ से दस फीट बर्फ पड़ती थी जिस कारण एक जगह से दूसरी जगह जाना मुश्किल होता था इसलिए हर क्षेत्र के लोग अपने हिसाब से अलग अलग रीति रिवाज से अलग अलग दिनों में मनाते हैं।
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अटल टनल से घाटी में बढ़ी पर्यटन की संभावनाएं : मार्कंडेय
तकनीक शिक्षा मंत्री डा. रामलाल मार्कंडेय ने कहा कि अटल टनल से लाहुल घाटी में पर्यटन को बढ़ावा मिला है। इस बार स्नो फेस्टिवल मनाने जा रहे हैं। समर सीजन में उमड़ने वाले सैलाब को देखते हुए भी बेहतर प्लान बनाया जा रहा है।