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पहाड़ की महिलाओं को सशक्त बनाने के जुनून में उबड़-खाबड़ रास्ते इनकी राह में बाधा नहीं बनते

Krishna Kashyap. पहाड़ की महिलाओं को सशक्त बनाने के जुनून में उबड़-खाबड़ रास्ते भी कृष्णा की राह में बाधा नहीं बनते।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 09 Dec 2018 11:25 AM (IST)Updated: Sun, 09 Dec 2018 02:17 PM (IST)
पहाड़ की महिलाओं को सशक्त बनाने के जुनून में उबड़-खाबड़ रास्ते इनकी राह में बाधा नहीं बनते
पहाड़ की महिलाओं को सशक्त बनाने के जुनून में उबड़-खाबड़ रास्ते इनकी राह में बाधा नहीं बनते

कुल्लू, कमलेश वर्मा। पहाड़ की सर्पीली सड़कों पर दोपहिया का सफर आसान नहीं। लेकिन कृष्णा कश्यप की दिनचर्या सुबह स्कूटर को किक मारने के साथ शुरू होती है, लक्ष्य है नारी सशक्तीकरण। पहाड़ की महिलाओं को सशक्त बनाने के जुनून में उबड़-खाबड़ रास्ते भी कृष्णा की राह में बाधा नहीं बनते। उनके साथ 12 स्वयं सहायता समूह जुड़ चुके हैं।

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कृष्णा अदम्य साहस के बूते क्षेत्र व जिला की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं। वह कुल्लू के गांव-गांव में महिलाओं को आय के साधन जुटाने के बारे में जागरूक कर रही हैं। अन्य महिलाओं के साथ स्कूलों में छोटे बच्चे व बच्चियों को गुड व बैड टच के बारे में जानकारी देती हैं। झुग्गी-झोपड़ियों में महिलाओं को साफ-सफाई और स्वच्छता का संदेश देती हैं। आज सैकड़ों महिलाओं उनके साथ जुड़ गई हैं। ये महिलाएं गांव-गांव में नारी शक्ति को स्वच्छता, स्वरोजगार के बारे में जानकारी देकर अन्य महिलाओं को जीने की राह दिखा रही हैं।

महिला के अदम्य साहस का यहीं से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पेट के ऑपरेशन के बावजूद पहाड़ की यह नारी कभी नहीं हारी और आगे बढ़ रही हैं।

गांव में महिलाओं को आय के साधन जुटाने के बारे में जानकारी देते हुए।

पेट के ऑपरेशन से भी नहीं रुके कदम 

कृष्णा घर का कार्य निपटाने के बाद जरूरत का सामान लेकर सर्पीली सड़कों पर स्कूटर पर सवार होकर मंजिल की ओर निकल पड़ती हैं। समाजसेवा व महिलाओं को सशक्त बनाने के प्रति कृष्णा में इतनी लग्न है कि पेट का ऑपरेशन होने के बावजूद उन्होंने अपने कदमों को रुकने नहीं दिया।

कार्य से प्रेरित हुई सैकड़ों महिलाएं 

कृष्णा के इस अदम्य साहस और प्रतिभा को देखते हुए सैकड़ों महिलाएं उनसे प्रेरित होकर उनके साथ जुड़ी हैं। कृष्णा के साथ अंजु, अनिता, महिमा, मंजुला, ओमा देवी, पूजा, अमिता, शकुंतला, सुनीता, भोली देवी, बेगमा, सीता, सुनीता व मैना सहित सैकड़ों महिलाएं जुड़ी हुई हैं जो हर कार्य में उनका पूरा सहयोग करती हैं। ये महिलाएं कुछ माह पूर्व तमिलनाडु में आजीविका कमाने का प्रशिक्षण लेकर आई हैं।

परिवार का मिल रहा बखूबी साथ  

कृष्णा के पति मेघ सिंह का कहना है कि आज के समय में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक क्षेत्र में भी महिलाओं का योगदान महत्वपूर्ण है। परिवार भी उनके इस कार्य में हरसंभव मदद करता है।

10 वर्ष से समाजसेवा का कार्य कर रही हूं। कुछ समय पूर्व राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार आजीविका मिशन से जुड़ी हूं। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र की गरीब महिलाओं को रोजगार के प्रति जागरूक कर उन्हें सशक्त बनाया जा रहा है। पंचायतों में महिलाओं को आत्मनिर्भरता के टिप्स भी दिए जा रहे हैं।

-कृष्णा कश्यप, भुंतर, कुल्लू। 


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