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एनएसजी कमांडो ने फतह की देउटिब्बा पीक

मनाली : एनएसजी के कमांडोज ने 6001 मीटर उंची देउ टिब्बा चोटी फतेह कर ल

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 08:07 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 08:07 PM (IST)
एनएसजी कमांडो ने फतह की देउटिब्बा पीक
एनएसजी कमांडो ने फतह की देउटिब्बा पीक

जागरण संवाददाता, मनाली : एनएसजी के कमांडोज ने 6001 मीटर उंची देउ टिब्बा चोटी फतेह कर ली है। बर्फ से ढकी रहने वाली इस चोटी को फतेह कर पाना बेहद ही कठिन और जोखिम भरा है। तकनीकी रूप से महत्वपूर्ण देउ टिब्बा को फतेह पाना अपने आप में महत्वपूर्ण हैं। एनएसजी के 20 सदस्य के दल में से 16 सदस्यों ने इस चोटी को रविवार को फतेह किया है। जानकारी देते हुए एनएसजी दल के टेक्निकल एडवाइजर और टेक्निकल डायरेक्टर ब्रिगेडियर अशोक अभय ने बताया कि देउ टिब्बा बहुत महत्वपूर्ण चोटी है तथा इसको फतेह करना एवरेस्ट के समीप पहुंचने जैसा है। इस चोटी को बहुत ही तकनीकी तरीके से फतेह किया जाता है। 13 जून को सुबह सात बजे 18 सदस्य इस चोटी काोफतेह करने निकले और इनमें से 16 सदस्यों ने इस चोटी पर पहुंचकर फतेह पा ली है।

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ट्रैक इंडिया के डायरेक्टर एवरेस्ट विजेता एवं अटल बिहार वाजपयी पर्वतारोहण खेल संस्थान के पूर्व निदेशक राजीव, निदेशक नरेश शर्मा और निदेशक चंदन शर्मा ने इस चोटी को फतेह करने के गुर सिखाए हैं। उन्होंने कहा कि देउ टिब्बा पूरे विश्व की सबसे कठिन चोटियों में से एक है। यह अभियान उनका प्री ऐवरेस्ट के लिए है मई 2019 में एनएसजी के कमांडोज द्वारा एवरेस्ट को फतेह करना एकमात्र लक्ष्य है। फतेह करने के बाद दल आजमनाली वापस पहुंचा।

ग्रुप लीडर जय प्रकाश ने बताया कि यह प्री ऐवरेस्ट की शुरूआत बीते वर्ष शुरू की गई थी। वर्ष 2017 में अगस्त सितंबर में फतेह किया था। उन्होंने बताया कि दिसंबर जनवरी में ¨वटर ट्रे¨नग के लिए कश्मीर के गुलमर्ग में जाएंगे, और उनके पश्चात दल माउंट एवरेस्ट फतेह करने के लिए तैयार हो जाएगी तथा मार्च अंत में नेपाल के लिए रवाना होंगे। मई के अंत तक माउंट एवरेस्ट को फतेह करेंगे और वापस भारत लौटेंगे। एनएसजी के तकनीक निदेशक एंव डायरेक्टर ब्रिगेडियर अशोक अभय ने बताया कि उनके दल द्वारा छिक्का, सैरी, टैंटाछौटा चंद्रताल और देउ टिब्बा के वेस कैंप में देखा की टैक्रर जो जाते हैं, वह वेस्ट मैटिरियल वहीं पर फेंक रहे हैं। जवानों ने विभिन्न स्थानों से एकत्र किया वेस्ट चार बोरी था जिसे वापस मनाली ले आए।


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