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देव मिलन हुआ, न निभा पाए रिश्तेदारी

दविद्र ठाकुर कुल्लू कोरोना काल ने मनुष्य ही नहीं देव परंपराएं भी प्रभावित की हैं। अंतरर

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 05:06 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 05:06 PM (IST)
देव मिलन हुआ, न निभा पाए रिश्तेदारी
देव मिलन हुआ, न निभा पाए रिश्तेदारी

दविद्र ठाकुर, कुल्लू

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कोरोना काल ने मनुष्य ही नहीं देव परंपराएं भी प्रभावित की हैं। अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में इस बार देवी-देवता न रिश्तेदारी निभा पाए और न ही देव मिलन हुआ। कोरोना महामारी के चलते इस बार दशहरा उत्सव का सीमित आयोजन किया गया। इस कारण जिलाभर के मात्र 11 देवी-देवताओं का ही मिलन हो पाया।

अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में हर साल जिलाभर के 300 से अधिक देवी-देवता भाग लेते थे। साल में एक बार होने वाले इस देव महाकुंभ में हजारों लोग देव मिलन का गवाह बनते थे। ढालपुर के रथ मैदान में देव मिलन देखकर लोग भी भावुक हो जाते थे। देवता भी अपने गूर के माध्यम से एक-दूसरे को सुख-दुख बताते थे। जिले के देवी-देवताओं की आपस में रिश्तेदारी भी है। दशहरा उत्सव के दौरान वे रिश्तेदारी भी निभाते थे। इस बार सभी देवी-देवता नहीं बुलाए गए हैं। ऐसे में भगवान रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर में देवता के गूर पहुंचकर हाजिरी लगा रहे हैं और नाराजगी जाहिर कर लौट जाते हैं। कुल्लू में इस बार न तो ब्रह्मा, विष्णु व महेश का मिलन हुआ और न ही भाई-बहन मिल सके।

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इन देवी-देवताओं की आपस में रिश्तेदारी

खोखन से आदि ब्रह्मा (ब्रह्मा), दियार से त्रियुगी नारायण (विष्णु), भ्रैण से बिजली महादेव (शिव) तीनों का आपस में गहरा संबंध है। इस वर्ष ब्रह्मा, विष्णु, शिव का भी मिलन नहीं हो पाया। बालू नाग (लक्ष्मण अवतार) अधिष्ठाता रघुनाथ के छोटे भाई हैं। श्रृंगा ऋषि को भगवान रघुनाथ के कुल पुरोहित कहा जाता है। मनाली की माता हिडिबा राज परिवार की दादी हैं। घटोत्कच माता हिडिंबा के पुत्र हैं। छेंऊर से मंगलेश्वर महादेव देवी पटंती के भाई हैं। श्रृंगा ऋषि व बलागाड़ की देवी भी भाई-बहन हैं। राज परिवार की कुलदेवी दोचा मोचा है। सचाणी के ऋषि गर्गाचार्य और दलासणी की श्यामाकाली का आपस में भाई-बहन का रिश्ता है। देव वीरनाथ हुरला और महर्षि मार्कंडेय थरास का भी भाई-बहन का रिश्ता माना गया है।

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फिर से हो सकती है जगती

दशहरा उत्सव में न बुलाने पर देवी-देवता नराजगी जाहिर कर रहे हैं। कुछ देवी-देवताओं ने तो कहा है कि इसके बाद गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। ऐसे में दशहरा उत्सव के बाद जगती बुलाई जा सके, इसके कुछ संकेत देवताओं ने दिए हैं।

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इस वर्ष देवी-देवताओं को कोविड-19 के चलते कम संख्या में बुलाया गया था। कुछ देवी-देवता इस पर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। हम उन सबसे माफी मांग रहे हैं। लेकिन कुल्लू में इस वर्ष दोहरा मापदंड अपनाया गया है। कल भी फोजल के देवता आए और उन्होंने भी नराजगी जाहिर की है।

-महेश्वर सिंह, छड़ीबरदार भगवान रघुनाथ।


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