तलपीणी में राख उड़ाकर मनाई दियाली
कुल्लू : जिला कुल्लू में कई पुरातन परंपरांए आज भी जीवित हैं। इन्हीं परंपराआ
संवाद सहयोगी, कुल्लू : जिला कुल्लू में कई पुरातन परंपराएं आज भी जीवित हैं। इन्हीं में से एक परंपरा दियाली की भी है। जिला के विभिन्न स्थानों में अपने-अपने रिवाज के अनुसार दियाली पर्व मनाया जाता है। कुल्लू के तलपीणी में एक अनोखी दियाली मनाई जाती है, यहां पर ग्रामीण दो माह तक गांव के हर घर में राख को जमा किया जाता है और एक दिन इस राख को उड़ाकर दियाली मनाई जाती है, जिससे छार दियाली कहा जाता है।
मणिकर्ण घाटी के तलपीणी गांव में मंगलवार को छार दियाली धूमधाम से मनाई गई। छार दियाली के मौके पर पीणी गांव में सैकड़ों लोगों ने माता भागासिद्ध व लाहुआ घोंड देवता से आशीर्वाद प्राप्त किया। लोगों ने एक दूसरे पर गुलाल की तरह राख फैंककर बुरी शक्तियों को दूर भगाया। इस नजारे को देखने के लिए मणिकर्ण व खराहल घाटी के सैकड़ों लोग तलपीणी पहुंचे। इससे पहले तलपीणी जागरा जलाया गया। लाहुआ घोंड देवता के निकलने के बाद ही सभी लोग गांव के 500 मीटर दूरी पर स्थित एक खुले स्थान पहुंचे। जहां पर देवता नारायण के गूर और माता भागासिद्ध के गूर ने एक दूसरे पर राख फैंककर इस उत्सव की विधिवत शुरूआत की। दोपहर बाद देवता लाहुआ घोंड के भंडार गृह में वापस जाते ही छार दियाली का समापन भी हुआ। माता भागासिद्ध के पुजारी मोहर ¨सह ठाकुर ने कहा कि छार दियाली बुरी शक्तियों का नाश करने के लिए मणिकर्ण घाटी में मनाई जाती है।