इस बार बिना लोरी सुने सो रहे बिजली महादेव
कमलेश वर्मा कुल्लू कोरोना महामारी के कारण देवमहाकुंभ अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्
कमलेश वर्मा, कुल्लू
कोरोना महामारी के कारण देवमहाकुंभ अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का स्वरूप भी बदल गया है। देव समागम इस बार देव परंपराओं तक ही सीमित रह गया है। कुछ देव परंपराएं इस बार कोरोना महामारी के कारण नहीं निभाई जा रही हैं। इस बार बिजली महादेव बिना लोरी सुने ही सो रहे हैं।
दशहरा उत्सव में सात दिन तक अस्थायी शिविर में रात को भगवान बिजली महादेव को लोरियां सुनाकर सुलाया जाता था। इस दौरान महादेव का पूरा परिवार मौजूद रहता था। इस साल कोरोना नियमों के कारण बिजली महादेव के अस्थायी शिविर में अधिक लोग और खासकर बुजुर्ग देवलु मौजूद न होने के कारण बिजली महादेव की इस परंपरा का निर्वहन नहीं हो पा रहा है। उत्सव में मौजूद देवी-देवताओं के अस्थायी शिविरों में सिर्फ 10-10 लोगों के रहने की अनुमति दी गई है। शाम को आरती के बाद ही पंडाल बंद कर दिया जाता है। बिजली महादेव 360 साल से दशहरा में शिरकत कर रहे हैं। हर वर्ष उनको अस्थायी शिविर में रात को लोरियां सुनाकर सुनाया जाता रहा है। लोरियां कुल्लू की लोकल बोली में होती हैं। बिजली महादेव के देवलु बुजुर्ग ही इन्हें सुनाते हैं। इस बार सीमित आयोजन के कारण दशहरा में इस परंपरा का निर्वहन नहीं हो पाया है।
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पूरा परिवार होता था शामिल
दशहरा उत्सव में चौंग की माता पार्वती, ऊझी घाटी के घुड़दौड़ के गणेश व उनके भाई मनाली से कार्तिक स्वामी सहित खराहल घाटी के आराध्य देव बिजली महादेव का पूरा परिवार शामिल होता था, लेकिन इस बार बिजली महादेव ही आए हैं।
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हर साल दशहरा उत्सव में अस्थायी शिविर में रात को बिजली महादेव को सुलाने के लिए स्थानीय बोली में लोरियां सुनाने की परंपरा थी। बुजुर्ग ही लोरियां सुनाते हैं। इस बार कोरोना महामारी के कारण शिविर में मात्र 10 ही लोग रह रहे हैं। बुजुर्ग नहीं आएं हैं जिस कारण यह परंपरा नहीं निभाई जा रही है।
-रमेश शर्मा, पुजारी बिजली महादेव।