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लाहुल स्पीति और उझी घाटी में नहीं मनाते दिवाली

हिमाचल में लाहुल स्पीति के अलावा कुल्लू की उझी घाटी में भी दिवाली का त्‍योहार नहीं मनाया जाता है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 04:05 PM (IST)Updated: Wed, 07 Nov 2018 03:42 PM (IST)
लाहुल स्पीति और उझी घाटी में नहीं मनाते दिवाली
लाहुल स्पीति और उझी घाटी में नहीं मनाते दिवाली

जागरण संवाददाता, मनाली। ह‍िमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहुल स्पीति में दिवाली नहीं मनाई जाती। लाहुल स्पीति के अलावा कुल्लू की उझी घाटी में भी दिवाली का त्‍योहार नहीं मनाया जाता है। यहां दिवाली के बजाय दिसंबर में 'दियाली' त्योहार मनाया जाता है। लाहुल स्पीति और मनाली की उझी घाटी में न तो पटाखों की गूंज सुनाई देती है और न ही म‍िठाई बांटने का र‍िवाज है।

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मनाली के सोलंग, पलचान, रुआड, कोठी, कुलंग, मझाच, बरुआ, शनग, गोशाल और मनाली गांवों के लोग आज भी पटाखे नहीं चलाते हैं। इस बार भी यहां लोग सदियों पुरानी परंपरा को निभाते हुए 'दियाली' उत्सव मनाएंगे। दियाली उत्सव दिसंबर महीने में सृष्टि के रचयिता मनु महाराज के प्रांगण से शुरू होगा और पूरी घाटी में मनाया जाएगा।

मान्यता है कि भगवान राम जब लंका पर विजयी होकर घर लौटे तो देश भर में खुशिया मनाई गई और घी के दीये जलाए गए। उस समय लाहुल स्पीति सहित मनाली की उझी घाटी बर्फ में दबी होने के कारण यहां के लोगों को समय जानकारी नहीं मिली कि भगवान राम अयोध्या लौट आए हैं। इस कारण यहां दिवाली नहीं मनाई गई। दिसंबर माह में 'दियाली' मनाने की शुरुआत हुई। लोग सदियों से इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं।

मनाली गांव के निवासी हेम राज ठाकुर ने बताया कि उझी घाटी के लोग दिवाली नहीं मनाते हैं। स्थानीय 'दियाली' दिसंबर में मनाई जाती है। इसे एकदम ईको फ्रेंडली के रूप में मनाते हैं। इस दौरान पटाखे नहीं चलाते। परंपरागत रूप में दीये की जगह रोशनी के लिए 'शोली' का प्रयोग किया जाता है। घर पर बने मीठे पकवान के रूप में 'गिच्चो' का प्रयोग किया जाता है। लोग बाजार में मिठाइयां भी नहीं खरीदते।

42 दिन बंद रखते हैं टीवी

मनाली की उझी घाटी सतयुग से अपने आराध्यदेव के आदेशों का पालन करती रही है। आज भी जनवरी महीने में लोहड़ी पर्व के दौरान उझी घाटी के लोग देवता के तपस्या में लीन होने के चलते लोग 42 दिन न टीवी देखते हैं, न ही खेत-खलियानों का रुख करते हैं।


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