नदी किनारे पत्थरों पर तराशा जा रहा है भविष्य
गुशैणी स्कूल के 456 बच्चों के पास नहीं बैठने के लिए जगह, 2005 की बाढ़ में बहा था स्कूल का एक हिस्सा।
गुशैणी, योगराज नेगी। जिस पलाचन नदी ने गुशैणी स्कूल को अपने बेग में तबाह कर दिया था। आज उसी नदी के पत्थरों पर बिठाकर अध्यापक 456 बच्चों के भविष्य को तराश रहे हैं, क्योंकि विभाग की लापरवाही के कारण 2005 में बहे इस स्कूल के लिए नए भवन का निर्माण ही पूरा नहीं हो सका है।
तीर्थन घाटी के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला गुशैणी स्कूल के दो भवनों जर्जर हालत में हैं। नए भवन का निर्माण कार्य अधूरा है। स्कूल के 456 बच्चों को स्कूल के बाहर नदी किनारे पत्थरों के बीच शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है। सर्दी हो या गर्मी बच्चों को इन्हीं पत्थरों का सहारा होता है। बता दें कि स्कूल के तीन भवनों में से एक भवन और दो खेल मैदान 2005 में आई बाढ़ में पूरी तबाह हो गए। अन्य दो भवन में केवल छह कमरे हैं जो खस्ता हालत में है। इस कारण बच्चों की क्लास खुले आसमान के नीचे ही लगती है। नए भवन का काम अधर में लटके होने के कारण अभिभावकों मे भारी आक्रोश है।
अभिभावक चमन लाल ठाकुर, मुनीष शर्मा अध्यक्ष एसएमसी गुशैणी व पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह शर्मा कमली राम, लजे राम, रूप लाल का कहना है कि स्कूल भवन निर्माण के लिए भूमि भी चयनित की गई और 69 लाख रूपये भी स्वीकृत हुए हैं लेकिन अभी तक कार्य अधर में ही है। सर्दी में भी बच्चों को नदी किनारे ही शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है।
उधर, स्कूल के प्रधानाचार्य हितेंद्र कुमार पठानिया ने बताया कि स्कूल भवन निर्माण के लिए बीएसएनएल कंपनी को टेंडर लगा है लेकिन वह बजट कम होने का रोना रो रहे है। पुराने भवन की खस्ता हालत और कमरों की कमी के कारण बच्चों को बाहर बिठाना मजबूरी है।
अध्यापकों के पद भी रिक्त गुशैणी स्कूल में नॉन मेडिकल, मेडिकल, ड्राइंग मास्टर, शास्त्री के पद भी खाली चल रहे हैं। लोगों ने सरकार से शीघ्र ही शिक्षकों के खाली पदों को भरने और स्कूल भवन निर्माण करवाने की मांग उठाई है।
बाढ़ के कारण स्कूल के भवन और खेल मैदान को काफी नुकसान हुआ। नए भवन के लिए धनराशि स्वीकृत हुई है। इसके बारे में पूरी जानकारी लेकर आगे की कार्रवाई की जाएगी। रिक्त पदों को भरने बारे पत्राचार किया गया है।
-जगदीश, उपनिदेशक, उच्च शिक्षा विभाग, कुल्लू