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मुख्यमंत्री नहीं कर्मचारी हितैषी, जेसीसी बैठक में कर्मचारियों को नहीं मिला फायदा

पूर्व कर्मचारी कल्याण बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष ठाकुर सुरिंद्र सिंह मनकोटिया ने कहा कि अभी हाल ही में हुई जेसीसी बैठक कर्मचारियों को कोई फायदा नहीं हुआ है। मनकोटिया ने मुख्यमंत्री को कर्मचारी हितैषी न होने का आरोप लगाया है।

By Richa RanaEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 04:00 PM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 04:00 PM (IST)
मुख्यमंत्री नहीं कर्मचारी हितैषी, जेसीसी बैठक में कर्मचारियों को नहीं मिला फायदा
जेसीसी बैठक से कर्मचारियों को कोई फायदा नहीं हुआ है।

परागपुर, संवाद सूत्र। पूर्व कर्मचारी कल्याण बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष ठाकुर सुरिंद्र सिंह मनकोटिया ने कहा कि अभी हाल ही में हुई जेसीसी बैठक कर्मचारियों को कोई फायदा नहीं हुआ है। मनकोटिया ने मुख्यमंत्री को कर्मचारी हितैषी न होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जिस छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है। उसमें तो पहले ही पांच साल का विलंब हो चुका है।

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सुरिंद्र सिह मनकोटिया का आरोप है कि मुख्यमंत्री द्बारा ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू न कर सिर्फ 2009 की नोटिफिकेशन को मानकर कर्मचारियों के हितों के साथ कुठाराघात किया है, 2009 की नोटिफिकेशन तो ओल्ड पेंशन स्कीम का ही एक हिस्सा है। हजारों आउटसोर्स कर्मचारी जो सरकारी कर्मचारी के बराबर काम करते हैं, इसके लिए कोई नीति न लाकर सरकार ने कर्मचारी हितैषी न होने का प्रमाण दिया है। सरकार ने मकान भत्ता, कंपनसेटरी भत्ता, कैपिटल भत्ता, ट्राइबल भत्ता, विंटर भत्ता, दैनिक भत्ता, आदि कई भत्तें हैं जो पिछले चार साल से नहीं बढ़े हैं उन पर कोई बात न करके कर्मचारियों में निराशा पैदा की है। करुणामूल्क आधार पर नौकरी पाने वाले लगभग 4500 युवा लगभग 80 दिन से हड़ताल पर चल रहे हैं, इसके बारे में कोई पालिसी न लाकर सरकार बहरी बनी हुई है।

सुरिंद्र सिह मनकोटिया का आरोप है कि रात दिन लोगो की सुरक्षा वयवस्था का जिम्मा संभालने वाली पुलिस को सरकार ने इनकी आठ साल की अवधि को दूसरे समकक्ष कर्मचारियों के बराबर कम न करके पुलिस वर्ग में निराशा पैदा की है और यह निराशा पुलिस कर्मियों के मुख्यमंत्री से मिलने से भी झलक रही है। 4-9-14 वर्ष बाद मिलने वाली वेतन वृद्धि जैसी जटिल समस्या को सरकार हल नहीं कर पाई है। जिससे हजारों कर्मचारियों को नुकसान हो रहा है। इसके अलावा सरकार ने होमगार्ड, पैरा पंप आपरेटर, पैराफिटर , सिलाई अध्यापक, पंचायत चौकीदार, एसएमसी टीचर, आंगनबाड़ी वर्कर, आंगनवाड़ी वर्कर हेल्पर, आशा वर्कर, एससीवीटी लैब टेक्नीशियन, अध्यापक, पीस मील वर्कर्स आदि बहुत सी ऐसी श्रेणियां है जिन के प्रति जयराम मुख्यमंत्री का रवैया उदासीन रहा है, जबकि ये श्रेणियां कई सालों से पीस रही हैं।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने चार साल में सिर्फ एक जेसीसी करके उस मांग छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को माना जिसका फर्ज और दायित्व पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह ने आइआर की किस्तें  मुख्यमंत्री काल में ही दे कर निभा चुके थे। जो कांट्रेक्ट पीरियड तीन साल से दो साल किया है वह बीजेपी के 2017 के वीजन डाक्यूमेंट में किया गया वायदा था उसी को पूरा करने में बीजेपी ने चार साल का विलंब कर दिया। जिससे हजारों कर्मचारियों को नुकसान हुआ। वह भी इसलिए किया जब बीजेपी सरकार हाल ही में हिमाचल में चारों सीटें हार गई और आगामी चुनाव हारने के कगार पर है, इस दर्द को भांपते हुए ऐसा किया गया है। अगर ऐसा नहीं होता तो यह कर्मचारी विरोधी सरकार कभी पीरियड न घटाती।


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