Himachal Election 2007:...जब हिमाचल में पहली बार बनी थी विशुद्ध भाजपा सरकार
Himachal Election 2007 हिमाचल में 2007 में पहली बार विशुद्ध रूप से भाजपा की सरकार बनी थी। जयराम ठाकुर उस समय प्रदेशाध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में पार्टी ने 68 सीटों पर चुनाव लड़ा था। 41 सीटों पर जीत हासिल की थी। प्रेम कुमार धूमल तब मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित थे।

मंडी, हंसराज सैनी। Himachal Election 2007, हिमाचल में 2007 में पहली बार विशुद्ध रूप से भाजपा की सरकार बनी थी। वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर उस समय प्रदेशाध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में पार्टी ने 68 सीटों पर चुनाव लड़ा था। 41 सीटों पर जीत हासिल की थी। प्रेम कुमार धूमल तब मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित थे। इससे पहले भाजपा ने तीन बार अन्य दलों के साथ मिलकर हिमाचल में सरकार बनाई थी।
1977 के विधानसभा चुनाव में जनसंघ से जुड़े नेताओं ने जनता पार्टी के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ा था। विभिन्न छोटे-छोटे दलों व निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। कुछ माह बाद नेताओं के अहम टकराना शुरू हो गए थे। शांता कुमार मुख्यमंत्री थे। ढाई साल बाद सरकार गिर गई थी।
1990 के चुनाव में भाजपा ने जनता दल के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। गठबंधन को 57 सीटें मिली थी। शांता कुमार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे। उनकी सरकार दूसरी बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई थी। करीब 33 माह बाद बाबरी विध्वंस मामले में केंद्र ने सरकार भंग कर दी थी। 1998 के चुनाव में भाजपा को 29 सीटें मिली थी। उस समय 65 सीटों पर चुनाव हुआ था। बहुमत का आंकड़ा 33 था। कांग्रेस को 31 सीटें मिली थी। भाजपा ने हिमाचल विकास कांग्रेस (हिविकां) पार्टी के समर्थन से सरकार बनाई थी। गठबंधन सरकार ने कई उतार चढ़ाव के बाद अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था।
दो चरणों में हुआ था मतदान
2007 में दो चरणों में मतदान हुआ था। चुनाव की घोषणा 10 अक्टूबर को हुई थी। प्रथम चरण में जनजातीय क्षेत्र लाहुल स्पीति, भरमौर व किन्नौर में 14 नवंबर को मतदान हुआ था। प्रदेश के अन्य 10 जिलों की 65 सीटों के लिए दूसरे चरण में 19 दिसंबर को वोटिंग हुई थी। 28 दिसंबर को नतीजे आए थे।
छह राष्ट्रीय, दो क्षेत्रीय व तीन गैर मान्यता प्राप्त दलों ने लड़ा था चुनाव
11वीं विधानसभा के लिए भाजपा, कांग्रेस, बसपा, माकपा, एनसीपी व भाकपा सहित छह राष्ट्रीय, दो क्षेत्रीय व तीन गैर मान्यता प्राप्त दलों ने चुनाव लड़ा था। चुनाव मैदान में 60 निर्दलीय उम्मीदवारों भी थे। जीत सिर्फ तीन को मिली थी। अन्यों की जमानत जब्त हो गई थी।
458 प्रत्याशियों ने किया था नामांकन
68 सीटों के लिए 458 प्रत्याशियों ने नामांकन किया था। इनमें 422 पुरुष व 36 महिला उम्मीदवार थीं। 80 के नामांकन रद हुए थे। 42 ने नामांकन वापस लिए थे। 336 ने चुनाव लड़ा था। 311 पुरुष व 25 महिला उम्मीदवार थीं। 187 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी।
धूमल सर्वाधिक व तुलसी राम सबसे कम मतों से जीते थे
हमीरपुर जिले की बमसन सीट से प्रेम कुमार धूमल सर्वाधिक 26,007 मतों से विजयी हुए थे। चंबा जिले की भरमौर सीट से भाजपा के तुलसी राम मात्र 16 मतों से जीते थे।
बसपा का खुला था खाता, कामरेड हुए थे साफ
चुनाव में बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) का खाता भी खुला था। कांगड़ा विधानसभा क्षेत्र से बसपा के संजय चौधरी ने चुनाव जीता था। कांग्रेस के सुरेंद्र काकू दूसरे स्थान पर रहे थे। माकपा व भाकपा ने 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था। एक भी सीट झोली में नहीं आई थी।
25 महिलाओं ने लड़ा चुनाव पांच जीती
25 महिलाओं ने 11वीं विधानसभा के चुनाव में किस्मत आजमाई थी। मात्र पांच महिला उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल रही थीं। इनमें विद्या स्टोक्स, सरवीण चौधरी, उर्मिल ठाकुर, विनोद कुमारी व रेणु चड्ढा शामिल थीं।

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