Move to Jagran APP

1763 जलरक्षकों को दस माह से नहीं मिला वेतन

मनोज सूद, थुरल जिला कांगड़ा के हजारों घरों में पानी आपूर्ति को सुचारू करवाने वाले सेवा

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Jan 2018 12:16 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jan 2018 12:16 AM (IST)
1763 जलरक्षकों को दस माह से नहीं मिला वेतन
1763 जलरक्षकों को दस माह से नहीं मिला वेतन

मनोज सूद, थुरल

loksabha election banner

जिला कांगड़ा के हजारों घरों में पानी आपूर्ति को सुचारू करवाने वाले सेवाएं दे रहे 1763 वाटर गार्ड दस माह से वेतन न मिलने से परेशानी झेल रहे हैं। पहले आइपीएच विभाग इन्हें वेतन देता था, लेकिन मार्च, 2016 से पंचायतीराज विभाग के माध्यम से उक्त कर्मचारियों को वेतन देने का प्रावधान किया गया। लेकिन आज इन्हें वेतन के लिए तरसना पड़ रहा है। विभागीय अधिकारी मात्र आश्वासन ही दे रहे हैं। पंचायती राज विभाग के पास सरकार की ओर से सितंबर और नवंबर में आगामी तीन महीनों का मानदेय भेज दिया गया है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण इसे आज तक जलरक्षकों को नहीं दिया गया है। नतीजा यह कि मात्र 1500 रुपये का वेतन लेने के लिए दोनों विभागों के अधिकारियों के पास भटकना पड़ रहा है। उधर इस पर इंटक महामंत्री सीता राम सैणी ने कहा कि दो किश्तों में वाटर गार्डो का मानदेय पंचायती राज विभाग के पास पड़ा है। अफसरों की लापरवाही के कारण कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है। अगर एक सप्ताह में वेतन जारी नहीं किया गया तो इंटक पंचायत अधिकारी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करेगी। वहीं, आइपीएच के एक्सईएन सुरेश महाजन का कहना है कि अब मानदेय पंचायती राज विभाग द्वारा दिया जा रहा है। इनको मानदेय क्यों नहीं मिला जानकारी नहीं है। वहीं, जिला पंचायती राज अधिकारी विजय बरागटा ने माना कि विभाग के पास सितंबर में चार माह का और उसके बाद तीन माह का मानदेय आया है, लेकिन वाटर गार्डो की जानकारी न होने के कारण धन वितरित नहीं हो सका है। एक सप्ताह के भीतर वाटर गार्डो को मानदेय आबंटित कर दिया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.