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हिमालयन रेजिमेंट पर सदन का संकल्प

हिमाचल का भर्ती कोटा बढ़ाने का सरकारी संकल्प सर्वसम्मति से पारित, सेना में हिमाचल का कोटा बढ़ाने की मांग, केंद्र के समक्ष उठाएंगे मुद्दा।

By Edited By: Published: Fri, 14 Dec 2018 07:34 PM (IST)Updated: Sat, 15 Dec 2018 09:34 AM (IST)
हिमालयन रेजिमेंट पर सदन का संकल्प
हिमालयन रेजिमेंट पर सदन का संकल्प

धर्मशाला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल के वीर सैनिकों व वतन पर कुर्बान जांबाजों को सदन ने भी सलाम किया। सत्ता पक्ष व विपक्ष ने वीरता में छोटे राज्य हिमाचल के योगदान को बड़ा करार दिया। सैनिक कल्याण मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के माध्यम से नई हिमालयन रेजिमेंट गठित करने व सशस्त्र बलों में हिमाचल का भर्ती कोटा बढ़ाने का सरकारी संकल्प सर्वसम्मति से पारित हो गया। दोनों पक्ष इस मसले को प्रभावी तरीके से केंद्र के साथ उठाएंगे। विधायकों ने माना कि बहादुरी, वफादारी में हिमाचल नंबर वन है। इसलिए सेना में भर्ती का आधार आबादी नहीं कुर्बानी होनी चाहिए। प्रदेश में 1.75 लाख पूर्व सैनिकों है। संकल्प के प्रस्तावक मंत्री ने यह जानकारी सदन में दी। उन्होंने बताया कि वह चीन, पाकिस्तान के साथ व कारगिल युद्ध में हिमाचल के वीर जवानों का बड़ा योगदान रहा।

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राज्य के हिस्से चार परमवीर चक्र, दो अशोक चक्र व 10 महावीर चक्र आए हैं। 1971 की लड़ाई में वह खुद भी लड़े हैं। देश में 1984-85 से पहले राज्यों की अलग रेजीमेंट थी। मसलन पंजाब, बिहार रेजीमेंट, जाट, राजपूताना रेजीमेंट आदि। ब्लू स्टार ऑपरेशन के बाद ऐसी रेजीमेंट पर रोक लगी। उसी दौरान सेना में भर्ती का मापदंड आबादी रखा। इससे हिमाचल का कोटा घट गया। अगर हिमालय की रेजीमेंट बनी तो उस सूरत में इसमें 10 हजार से अधिक सैनिकों को भर्ती होने का लाभ मिलेगा।

देश का पहला परमवीर चक्र हिमाचल के मेजर सोमनाथ को मिला। कारगिल युद्ध में चार जांबाजों को परमवीर चक्र मिले। इनमें दो का संबंध हिमाचल से रहा। एक वीरगति को प्राप्त हुए। एक अभी भी देश की सेवा में कार्यरत हैं। मैं इस संकल्प का समर्थन करता हूं।

-सुरेश भारद्वाज, संसदीय कार्यमंत्री।

विपक्ष पूरी तरह से संकल्प के साथ है। हमारा इस संवेदनशील ममले में सत्ता पक्ष के साथ समर्थन हैं। इस पर विरोध का सवाल ही नहीं।

-मुकेश अग्निहोत्री, नेता प्रतिपक्ष।

मैं तीन युद्धों में शामिल रहा। पूर्व सरकार ने शहीदों की याद में वार मेमोरियल बनाया। संकल्प का समर्थन करता हूं।

-कर्नल धनी राम शांडिल, कांग्रेस विधायक।

हिमाचली पैदायशी सिपाही हैं। आजादी से पहले आठ राज्यों के युवा यहां भर्ती होने आते थे। सर्वदलीय कमेटी बनाई जाए जो प्रधानमंत्री और गृह मंत्रालय से मांग करे कि सेना में राज्य का कोटा बढ़ना ही चाहिए।

-राकेश पठानिया, भाजपा विधायक।

इस पर लेफ्ट-राइट न हो। सर्वसम्मति से संकल्प करें। विधायकों की टीम दिल्ली जाए। अलग रेजीमेंट की मांग जायज है।

-रामलाल ठाकुर, कांग्रेस विधायक।

सेना में भर्ती का पैमाना जनसंख्या न हो। बलिदान को पैमाना रखा जाए। यह अहम मसला है। इसमें सत्ता पक्ष के साथ खड़े हैं।

-राकेश सिंघा, माकपा विधायक।

कांगड़ा, हमीरपुर में सबसे ज्यादा फौजी हैं। हमारी भावनाएं सत्ता पक्ष के साथ हैं। संकल्प का समर्थन करते हैं।

-इंद्र दत्त लखनपाल, कांग्रेस विधायक।

मैं सेना में रहा हूं, जिस फोर्स ने सर्जिकल स्ट्राइक की, मैं उसी में तैनात था। हिमाचल के जवानों, अधिकारियों को क्रीम ऑफ इंडियन आर्मी कहा जाता है। -विक्रम सिंह जरयाल, भाजपा विधायक।

मैं वायुसेना में रहा हूं। हिमाचल का भर्ती कोटा बढ़ना ही चाहिए। यह संकल्प सही दिशा में उठाया गया कदम है।

-सुरेश कश्यप, भाजपा विधायक।

जुमला साबित होगा संकल्प

नेगी कांग्रेस विधायक दल पूरा संकल्प के साथ खड़ा रहा, लेकिन जगत ¨सह नेगी ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि जुमलेबाजी साबित होगा। दावा जताया कि भाजपा की दिल्ली से सरकार जाने वाली है। सरकार ने इसे पहले क्यों पेश नहीं किया?

सीएम ने जताई हैरानी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नेगी के रवैये पर हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अभी एक साल भी नहीं हुआ है। पहले ही साल में प्रस्ताव लेकर आए। आपकी सरकार भी ला सकती थी। आपको मालूम नहीं पड़ रहा है कि आप क्या कह रहे हैं? केंद्र में सरकार क्या आप तय करेंगे? इस पर नेगी और सीएम आमने-सामने आ गए।

धूमल ने उठाई थी मांग हिमाचल रेजिमेंट की बात सबसे पहले सांसद रहते हुए प्रेम कुमार धूमल ने उठाई थी। उनका इस रेजिमेंट के लिए इसरार मुख्यमंत्री बनने के बाद भी रहा लेकिन तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नाडीज ने कहा था कि सेना की रेजिमेंट का नामकरण अब प्रदेशों पर नहीं किया जाएगा। उसके बाद इस मामले की गूंज कम हो गई। हालांकि धूमल ने एक रास्ता यह भी बताया था कि अगर प्रदेश पर नामकरण में समस्या है तो इसे हिमालयन रेजिमेंट कर दिया जाए।


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