आज 18 क्विंटल मक्खन से होगा माता श्री बज्रेश्वरी देवी पिंडी का श्रृंगार, चरम रोगों में भी काम आता है ये मक्खन
आज मकर संक्रांति है और मां बज्रेश्वरी की पिंडी पर घृत का लेप करके घृतमंडल बनाया जाएगा। इसेक लिए सभी तैयारियां पूरी हो गई है। वही मंदिर के पुजारियों द्वारा माता की पिंडी को मक्खन से श्रृंगार करने के लिए लगभग किवंटल 18 क्विटंल मक्खन को तैयार कर लिया।
कांगड़ा, रितेश ग्रोवर। आज मकर संक्रांति है और मां बज्रेश्वरी की पिंडी पर घृत का लेप करके घृतमंडल बनाया जाएगा। इसेक लिए सभी तैयारियां पूरी हो गई है। वही मंदिर के पुजारियों द्वारा माता की पिंडी को मक्खन से श्रृंगार करने के लिए लगभग किवंटल 18 क्विंटल मक्खन को तैयार कर लिया। कोरोना संकट के कारण लगाई गई पाबंदियों के कारण इस बार माता श्री बज्रेश्वरी देवी मंदिर में इस भव्य आयोजन को देखने के लिए इतना श्रद्धालुओं का हजूम नहीं उमड़ा है।
देसी घी दान में देने का सिलसिला श्रद्धालुओं द्वारा रूका नहीं है। आज मां के भव्य घृतमंडल का निर्माण किया जाएगा। हालांकि कोरोना महामारी के चलते न तो कोई बड़ा आयोजन हो रहा है और न ही मां का श्रृंगार होते श्रद्धालु देख सकेंगे। ऐसे में सिर्फ पुजारी ही मां का श्रृंगार करेंगे। वहीं घी से मक्खन बनाने वाले पुजारियों का भी पहले कोरोना टेस्ट हुआ है। रिपोर्ट नेगेटिव होने पर ही घी से मक्खन बनाने का काम कर सके हैं।
प्रसाद के रूप में बांटा जाता है घृतमंडल में स्थापित मक्खन
मां के घृतमंडल का मक्खन एक सप्ताह के बाद लोगों में प्रसाद के रूप में बांटा जाएगा और यह मक्खन चरम रोगों के उपचार के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस लिए एक सप्ताह के बाद इस मक्खन को जब निकाला जाता है तो श्रद्धालुओं में प्रसाद के रूप में इस मक्खन को बांटा जाता है। यह मक्खन खाने के लिए नहीं सिर्फ लगाने के लिए मरहम का काम करता है।
यह बोले मंदिर के अधिकारी
मंदिर अधिकारी दलजीत शर्मा ने बताया कि इस मर्तबा पिछले वर्ष के मुकाबले ज्यादा मक्खन तैयार किया गया है और इस बार अधिक श्रद्धालुओं को मक्खन रूपी प्रसाद में बांटा जाएगा।