बर्फ पिघलेगी नहीं नाटक से दुर्गम क्षेत्र के लोगों का दर्द किया बयां
राज्यस्तरीय नाट्य महोत्सव के दौरान बर्फ पिघलेगी नहीं नाटक का मंचन किया गया। लिबरल थियेटर पांगी चंबा के कलाकार देसराज शर्मा ने एकल अभिनय से केहर सिंह ठाकुर के निर्देशन में अख्तर आजाद द्वारा लिखित कहानी का नाटक के माध्यम से जनजातीय क्षेत्र के लोगों के दर्द को बयां किया।
कुल्लू , संवाद सहयोगी। कुल्लू के कलाकेंद्र में 13 दिवसीय राज्यस्तरीय नाट्य महोत्सव के पांचवें दिन बर्फ पिघलेगी नहीं नाटक का मंचन किया गया। लिबरल थियेटर पांगी चंबा के कलाकार देसराज शर्मा ने एकल अभिनय से केहर ङ्क्षसह ठाकुर के निर्देशन में अख्तर आजाद द्वारा लिखित कहानी का नाटक के माध्यम से जनजातीय क्षेत्र के लोगों के दर्द को बयां कर दर्शकों को भावविभोर किया।
नाटक के माध्यम से दिखाया गया कि लाहुल स्पीति का एक युवा लोबजंग जो जनजातीय नियम को बदलने के लिए संघर्ष करता है। लोबजंग शिक्षित तो है, लेकिन उसे इसलिए पुश्तैनी जमीन में हिस्सा नहीं मिलता क्योंकि वह तीसरा बेटा होता है। जनजातीय क्षेत्र में बड़ा बेटा जमीन का मालिक होता है, दूसरे बेटे को लामा बनाया जाता है जबकि तीसरे को कोई हिस्सा नहीं मिलता। इस नियम के कारण लोबजंग जिस लड़की से प्यार करता है, शादी करना चाहता है वह भी उसे छोड़कर किसी और से शादी कर लेती है। लोबजंग इस नियम को बदलने के लिए मुहिम चलाता है।
कुछ लोगों के साथ मिलकर योजना बनाता है कि दलाईलामा से मिलकर इस नियम को खत्म करने की मांग रखी जाएगी। जब वह दलाईलामा से मिलने जाता है तो उसका अपना बड़ा भाई दलाईलामा के सुरक्षा कर्मियों के पास अफवाह फैला देता है कि वह आतंकी है जिसके चलते उसे गोली मार दी जाती है। इस कहानी में जनजातीय क्षेत्र के नियम के कारण लोगों को झेलनी पड़ रही दिक्कतों के बारे में बताया गया, जिसे लोगों ने खूब सराहा।