Move to Jagran APP

ज्वालामुखी में पागल कुत्ते का आतंक, काटे 9 लाेग

ज्वालामुखी में इन दिनों पागल कुत्तों के आतंक ने लोगों की परेशानियां बढ़ा दीं है। पिछले चार दिनों में 9 लोगों को पागल कुते के काटने की बजह से अस्पताल पहुंचना पडा है जिनमें से तीन लोगों को गंभीर रूप से काटने के कारण शरीर पर गहरी चोटें आईं हैं।

By Richa RanaEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 05:50 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 05:50 PM (IST)
ज्वालामुखी में पागल कुत्ते का आतंक, काटे  9 लाेग
ज्वालामुखी क्षेत्र में इन दिनों पागल कुत्तों के आतंक ने लोगों की परेशानियां बढ़ा दीं है।

ज्‍वालामुखी, संवाद सूत्र। ज्वालामुखी क्षेत्र में इन दिनों पागल कुत्तों के आतंक ने लोगों की परेशानियां बढ़ा दीं है। पिछले चार दिनों में 9 लोगों को पागल कुते के काटने की बजह से अस्पताल पहुंचना पडा है, जिनमें से तीन लोगों को गंभीर रूप से काटने के कारण शरीर पर गहरी चोटें आईं हैं, जबकि अन्य को भी घाब होने की बजह से एंटी रेवीज इंजेक्शन देकर उपचार किया गया है। ज्वालामुखी से वार्ड नंबर चार में एक दुकान पर कार्यरत कर्मचारी विनय कुमार ने बताया कि तीन दिन पहले बाज़ार में किसी काम से आ रहा था तो एक पागल कुते ने पीछे से हमला करते हुए उसकी टांग पर जख्म कर दिया।

loksabha election banner

स्थानीय दुकानदारों ने बड़ी मुश्किल से उसे कुत्ते की गिरफ्त से बचाया। मंदिर के मुख्य मार्ग पर बिहार राज्य से काम की खातिर आए एक युवा को कुत्ते के काटने से गहरे जख्म हुए हैं। इनके अलावा 7 अन्य लोगों को दिनांक 24, 25, 26 जनवरी के दिन सिविल अस्पताल ज्वालामुखी में कुत्ते के काटने के कारण प्राथमिक उपचार दिया गया है। सिविल अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डा. पवन शर्मा ने बताया कि पिछले तीन दिनों 9 लोगों को कुत्ते के काटने की वजह से उपचार दिया गया है।

उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थिति में लोगों को देशी नुस्खों की बजाए तुरन्त अस्प्ताल पहुंचकर एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाना चाहिए। अगर किसी को कुत्ते ने काट लिया है तो 72 घंटे के अंतराल में एंटी रेबीज वैक्सीन का इंजेक्शन अवश्य ही लगवा लेना चाहिए। इस समय पर अगर मरीज इंजेक्शन नहीं लगवाता है तो वह रेबीज रोग की चपेट में आ सकता है। ऐसा होने के बाद रेबीज का कोई भी इलाज उपलब्ध नहीं हैं।

कैसे होता है रेबीज :

कुत्ता, बंदर, सुअर, चमगादड़ आदि के काटने से जो लार व्यक्ति के खून में मिल जाती है, उससे रेबीज नामक बीमारी होने का खतरा रहता है। रेबीज रोग सीधे रोगी के मानसिक संतुलन को खराब कर देता है। जिससे रोगी का अपने दिमाग पर कोई संतुलन नहीं होता है। उसकी अजीब हरकतें हो जाती हैं।

रेबीज रोग के लक्षण

रेबीज रोगी को सबसे अधिक पानी से डर लगता है। क्योंकि जिस किसी को रेबीज हो जाता है, यह रोग दिमाग के साथ-साथ गले को भी अपनी चपेट में ले लेता है। अगर रोगी पानी पीने मात्र की भी सोचता है तो उसके कंठ में जकड़न महसूस होती है। जिससे उसको सबसे अधिक पानी से ही खतरा होता है। रोगी के नाकों, मुहं से लार निकलती है। यहां तक की वह भौंकना भी शुरू कर देता है। रोग की एक ऐसी भी अवस्था होती है कि वह अपने आपको निडर महसूस करता है। रोगी को रोशनी से डर लगता है। रोगी हमेशा शांत व अंधेरे वातावरण में रहना पसंद करता है। रोगी किसी भी बात को लेकर भड़क सकता है।

रेबीज का उपचार

रेबीज होने के बाद कोई भी इलाज संभव नहीं है। हालांकि इसकी रोकथाम के लिए अभी रिसर्च बेशक चल रहे हो, लेकिन अभी तक इसका कोई उपचार नहीं है। फिर भी रेबीज की रोकथाम के लिए अस्पतालों में किसी भी जंगली जानवर के काटे जाने के 72 घंटे तक घाव की सफाई कर उस पर बीटाडीन लगाई जाती है, ताकि घाव को फैलने से रोका जा सके। जंगली जानवर के काटे जाने के बाद एंटी रेबीज वैक्सीन के इंजेक्शन लगाए जाते है। जिनको नियमानुसार पहला इंजेक्शन 72 के अंदर, दूसरा तीन दिन बाद, तीसरा सात दिन बाद, चौथा 14 दिन बाद व पांचवा 28 दिन के बाद लगाया जाता है, लेकिन अब पांचवा इंजेक्शन चिकित्सक की सलाह से ही लगाया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.