जानिए कैसे दसवीं पास युवा बंजर जमीन पर लेमन ग्रास उगाकर कमा रहा सालाना लाखों रुपये
Lemon Grass Farming दसवीं पास युवा बंजर पड़ी जमीन पर मेहनत और लगन से लाखों रुपये की आय अर्जित कर रहा है। पहले चाय और कॉफी की खेती कर आत्मनिर्भरता का सपना बुनने की कोश्ािश की। लेकिन सफलता न मिलने पर लेमन ग्रास की खेती करने की योजना बनाई।
ज्वालामुखी, प्रवीण शर्मा। दसवीं पास युवा बंजर पड़ी जमीन पर मेहनत और लगन से लाखों रुपये की आय अर्जित कर रहा है। पहले चाय और कॉफी की खेती कर आत्मनिर्भरता का सपना बुनने की कोश्ािश की। लेकिन सफलता न मिलने पर लेमन ग्रास की खेती करने की योजना बनाई। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला के लग बलियाना गांव का युवा लेमन ग्रास से तेल निकालकर लाखों की आय अर्जित कर रहा है। तीन सालों की कड़ी मेहनत के बाद उसने न केवल खुद को आत्मनिर्भर किया है, बल्कि गांव के 60 से 70 अन्य छोटे किसानों की भी आर्थिकी सुदृढ़ की है।
ओम प्रकाश जिला कांगड़ा के विकास खंड परागपुर के रहने वाले हैं। ओम प्रकाश दसवीं पास हैं, लेकिन एक ऐसे प्रगतिशील किसान हैं जो क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरक बन गए हैं। 2017 -2018 में 400 कनाल भूमि पर लेमन ग्रास लगाकर इसी माह उससे 5 क्विंटल तेल निकालकर नौ लाख रुपये की आमदनी अर्जित की है।
क्या है लेमन ग्रास
लेमन ग्रास आम घास की ही तरह दिखने वाला है। लेकिन इसके कई औषधीय गुण हैं। इससे निकलने वाला तेल बाज़ार में कॉस्मेटिक उद्योग तथा आयुर्वेदिक उद्योग में अपनी जबरदस्त मांग रखता है। इसकी खासियत यह है कि एक बार खेती लगाने से पांच साल तक लगातार कटाई की जा सकती है। लेमन ग्रास की साल में तीन बार कटाई करके तेल निकाला जा सकता है। एक क्विंटल लेमन ग्रास से एवरेज चार से पांच लीटर तेल निकलता है। कॉस्मैटिक उद्योग में साबुन, शैंपू, क्रीम, डिटर्जेंट में खुशबू के लिए यह इस्तेमाल होता है। आइस्क्रीम तथा लेमन टी में भी लेमन ग्रास के तेल का प्रयोग होता है।
आयुर्वेदिक है लेमन ग्रास
लेमन ग्रास कई तरह के औषधीय गुणों से भरपूर है। सर्दी, खांसी, जुकाम, पेट दर्द तथा कई प्रकार की अन्य बीमारियों को दूर भगाने के लिए लेमन ग्रास का तेल रामबाण साबित होता है। फाइव स्टार, सेवन स्टार बड़े होटलों में भी खुशबू के लिए इस तेल का प्रयोग किया जाता है।
निचले हिमाचल की जलवायु सबसे उपयुक्त
लेमन ग्रास की खेती के लिए हिमाचल प्रदेश के निचले क्षेत्र की जलवायु सबसे उपयुक्त मानी गई है। करीब आधे हिमाचल में लेमन ग्रास की खेती बेझिझक की जा सकती है। लेमन ग्रास की खेती बंजर व बेकार पड़ी भूमि पर किसान आसानी से कर सकता है। इसके लिए फ़सल योग्य उपजाऊ भूमि को छोड़ने की जरूरत नहीं होती।
पशु तथा अन्य जानवर नहीं आते नजदीक
बेसहारा पशुओं की दहशत के कारण सैकड़ों कनाल भूमि को बंजर छोड़ चुके किसानों के लिए लेमन ग्रास की खेती किसी वरदान से कम नहीं है। खासियत यह है कि लेमन ग्रास की खेती को कोई भी जानवर नहीं उजाड़ता। इसकी खट्टी तथा तेज खुशबू के कारण जानवर खेती को उजाड़ना तो दूर की बात खेतों में घुस भी नहीं पाते। लेमन ग्रास की खेती को जानवरों से बचाने के लिए किसान को किसी तरह की तारबंदी के खर्चे में पड़ने की चिंता नहीं सताती।
कैसे आया लेमन ग्रास की खेती का ख्याल
ओम प्रकाश बताते हैं कि वर्ष 2016 में उसने अपनी जमीन पर 1000 पौधे कॉफी व 1000 पौधे चाय के लगाए। यह उसका प्रयोग था, उसकी जिद थी कि वह अपने यहां चाय व कॉफी की सफल पैदावार करके इतिहास बनाएगा। लेकिन कामयाबी नहीं मिल पाई। हिमाचल प्रदेश टी बोर्ड के माध्यम से चाय, कॉफी की खेती के प्रशिक्षण के लिए असम गए थे। वहीं पर एक किसान ने उन्हें लेमन ग्रास की खेती के बारे में जानकारी दी। इसके पश्चात जैव प्राैद्योगिकी संस्थान पालमपुर से उन्होंने प्रशिक्षण लिया। उसकी कामयाबी के पीछे आइएचबीटी पालमपुर का भी विशेष सहयोग है।
औरों को प्रेरित करने के लिए बनाई सोसायटी
ओम प्रकाश बताते हैं हमारे पूरे क्षेत्र में बेसहारा पशुओं की दहशत के कारण सैकड़ों किसानों ने भूमि बंजर छोड़ दी थी। उन्हें लेमन ग्रास के आर्थिक फायदे बताए तथा इसके लिए प्रेरित किया। उन्होंने नीलकंठ इंडिया नाम से सोसायटी बनाई, जिसमें 70 लोग पंजीकृत हैं। इन सभी ने लेमन ग्रास की खेती आरंभ की है। एक एक किसान अपनी जमीन के हिसाब से डेढ़-डेढ़, दो-दो कनाल भूमि पर लेमन ग्रास की खेती कर रहा है। शुरुआत है इसलिए किसान सालाना 20 से 30 हजार की आय कमा रहे हैं, जबकि उनकी 400 कनाल भूमि से 9 लाख की आय इस साल अर्जित हुई है। उन्होंने बनारस के एक साबुन उद्योग को 5 क्विंटल तेल 1800 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बेचा है।
सालाना की जा सकती है लाखों की कमाई : निदेशक
आइएचबीटी पालमपुर के निदेशक डॉ संजय कुमार का कहना है लेमन ग्रास की खेती से ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ने के लिए जैव प्राैद्योगिकी संस्थान पालमपुर लगातार प्रयासरत है। पूरे देश में लेमन ग्रास से तेल निकालने के लिए करीब 51 यूनिट विभाग ने लगाए हैं। लेमन ग्रास की खेती उन युवाओं के लिए वरदान साबित होगी, जो रोजगार के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। इसकी व्यापक खेती करके सालाना लाखों की कमाई की जा सकती है। इससे एक तरफ उपजाऊ भूमि बंजर होने से बचेगी, वहीं दूसरी तरफ किसान आत्मनिर्भर होंगे। हिमाचल प्रदेश में तेल निकालने के लिए 21 प्रोसेसिंग यूनिट विभिन्न स्थानों पर काम कर रहे हैं।
सुगंधित फसलों की खेती पर जोर : प्रधान वैज्ञानिक
आइएचबीटी पालमपुर के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर राकेश कुमार का कहना है लेमन ग्रास की खेती किसानों की खुशहाली व समृद्धि के लिए आने वाले समय में वरदान बनने जा रही है। बंजर होती जमीन से सोना उगलेगा, इस बात को नकारा नहीं जा सकता। आइएचबीटी पालमपुर प्रदेश में अरोमा मिशन के तहत आने वाले तीन सालों में सुगंधित फसलों की खेती के आधार पर 3000 हेक्टयर भूमि में इस तरह के प्रयासों को फलीभूत करेगा।