गंभीरता से लें टीबी की बीमारी को, नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी
टीबी की बीमारी को कभी भी नजरअंदाज न करें। अगर इससे संबंधित कोई लक्षण सामने आएं, तो तुरंत जांच करवाएं।
जेएनएन, कांगड़ा। मंगलवार को टीबी मुक्त हिमाचल अभियान व मुख्यमंत्री क्षयरोग निवारण योजना के अंतर्गत पंचायती राज संस्थानों के प्रतिनिधियों के लिए 'टीबी मुक्त ग्राम पंचायत' विषय पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन एसडीएम कार्यालय की सभागार में एसडीएम शशि पाल नेगी की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इस अवसर पर खंड चिकित्सा अधिकारी तियारा डॉक्टर स्नेहा सूद, एसएमओ कांगड़ा डॉ विवेक सूद, कांगड़ा नगर परिषद के समस्त नगर पार्षद तथा लगभग 30 पंचायतों के प्रधान, उपप्रधान तथा सचिवों ने इस कार्यशाला में हिस्सा लिया।
इस अवसर पर एसडीएम शशी पाल नेगी ने उपस्थित ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों को क्षयरोग के निवारण के लिए सहयोग करने को कहा। वहीं डॉक्टर विवेक सूद ने टीबी रोग के नियंत्रण तथा स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में उपस्थित जनों को बताया। पंचायत प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए खंड चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर स्नेह सूद ने कहा कि टीबी की बीमारी लोगों में सामान्यता पाई जाने वाली गंभीर बीमारियों में से एक है जिस को नजरअंदाज करने व इलाज में लापरवाही बरतने पर यह जानलेवा साबित हो सकती है, यह एक संक्रामक बीमारी है जिसका कीटाणु पीड़ित व्यक्ति के खांसने से निकलता है वह हवा के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश करता है।
टीबी की बीमारी के समय पर पहचान न होने पर या समय पर इलाज न करवाने की स्थिति में जहां यह बीमारी गंभीर व जानलेवा साबित हो सकती है। वहीं परिजनों सबंधी को भी संक्रमित कर सकती है इलाज में देरी जानलेवा है इसलिए जरूरी है कि समय रहते बीमारी का पता चल जाए भारत में टीबी के बीमारी से प्रतिदिन 1000 व्यक्ति अकाल मौत के मुंह में समा जाते है ।
बीमारी के लक्षण
-2 सप्ताह से अधिक खांसी
-2 सप्ताह से अधिक बुखार
-वजन कम होना
-खांसी के साथ खून आना
इन लक्षणों में वास्तव में टीबी की बीमारी मौजूद है या नहीं इसकी पहचान बलगम की जांच और एक्स-रे की जांच के बाद ही की जा सकती है। जिला कांगड़ा के 43 स्वास्थ्य संस्थानों में टीबी जांच की सुविधा उपलब्ध है जबकि कांगड़ा के मेडिकल कॉलेज टांडा, उप मंडलीय चिकित्सालय कांगड़ा, स्वास्थ्य चिकित्सा केंद्र तियारा तथा डॉक्टर बीके महाजन क्लिनिक में बलगम की जांच मुफ्त की जाती है।