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अफवाह फैलाने के आरोप में एनआइटी हमीरपुर के निलंबित असिस्टेंट प्रोफेसर लाइब्रेरी मे अटैच

हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) हमीरपुर में रजिस्ट्रार की गलत नियुक्ति की अफवाह फैलाने के आरोपित असिस्टेंट प्रोफेसर को निलंबित करने के बाद लाइब्रेरी में अटैच कर दिया है। अब यह मामला संस्थान के बोर्ड आफ डायरेक्टर (बीओडी) के पास जाएगा।

By Vijay BhushanEdited By: Published: Thu, 26 Aug 2021 09:53 PM (IST)Updated: Thu, 26 Aug 2021 09:53 PM (IST)
अफवाह फैलाने के आरोप में एनआइटी हमीरपुर के निलंबित असिस्टेंट प्रोफेसर लाइब्रेरी मे अटैच
हमीरपुर स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान। जागरण आर्काइव

हमीरपुर, जागरण संवाददाता। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) हमीरपुर में रजिस्ट्रार की गलत नियुक्ति की अफवाह फैलाने के आरोपित असिस्टेंट प्रोफेसर को निलंबित करने के बाद लाइब्रेरी में अटैच कर दिया है। अब यह मामला संस्थान के बोर्ड आफ डायरेक्टर (बीओडी) के पास जाएगा। उसके बाद ही असिस्टेंट प्रोफेसर पर आगामी कार्रवाई की जाएगी।

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एनआइटी के कार्यकारी निदेशक प्रो. ललित अवस्थी को जब इस मामले का पता चला था तो उन्होंने जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। इसमें दो डीन व वह स्वयं शामिल थे। जांच में एनआइटी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर ग्रेड-दो के पद पर तैनात मनोज कुमार को दोषी पाया गया और उन्हें निलंबित कर दिया गया।

निदेशक व बीओडी चेयरमैन पर लगाए थे आरोप

अवस्थी ने बताया कि रजिस्ट्रार की गलत नियुक्ति की अफवाह इंटरनेट मीडिया पर फैलाई गई। जांच कमेटी की रिपोर्ट में सामने आया असिस्टेंट प्रोफेसर ग्रेड दो ने रजिस्ट्रार की नियुक्ति को गलत बताते हुए संस्थान के निदेशक और एनआइटी बीओडी की चेयरमैन पर पैसों के लेनदेन जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। इस सारे मामले में उन्होंने एक ईमेल जारी की थी। जांच कमेटी की पूरी रिपोर्ट के बाद कार्रवाई की गई है। इस मामले में अभी और भी नाम सामने आ सकते हैं।

आइआइटी दिल्ली के छात्र का नाम भी आया सामने

आइआइटी दिल्ली के छात्र का नाम भी इस मामले में सामने आया है। उसे भी कानूनी नोटिस भेजा गया है।

पहले भी रहे विवाद

इस मामले से पहले भी एनआइटी हमीरपुर लगातार दो साल नियुक्तियों को लेकर से सुर्खियों में रहा। संस्थान के पूर्व निदेशक विनोद यादव को पद से हाथ धोना पड़ा था। उनके समय में हुई नियुक्तियों को लेकर सहायक प्रोफेसरों के पदनाम भी छीन लिए गए थे। इस मामले से जुड़े सभी सहायक प्रोफेसरों ने कोर्ट की शरण ली है।


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