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जिंदगी पर भारी पड़ रहा तनाव और अवसाद, कई दिन पहले दिखने शुरू हो जाते हैं लक्षण, जानिए विशेषज्ञों की राय

Stress and Depression भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव के साथ तनाव व अवसाद हावी है। पढ़े-लिखे युवा से लेकर अच्छे पदों पर कार्यरत प्रोफेशनल भी आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि इस तरह के विचार आए तो स्वजनों को समझाने की आवश्यकता है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 07:11 AM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 07:36 AM (IST)
जिंदगी पर भारी पड़ रहा तनाव और अवसाद, कई दिन पहले दिखने शुरू हो जाते हैं लक्षण, जानिए विशेषज्ञों की राय
भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव के साथ तनाव व अवसाद हावी है।

शिमला, जागरण संवाददाता। भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव के साथ तनाव व अवसाद हावी है। पढ़े-लिखे युवा से लेकर अच्छे पदों पर कार्यरत प्रोफेशनल भी आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं। राजधानी शिमला में बीते दिनों 26 वर्षीय जिला परिषद सदस्या कविता कांटू की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। पुलिस अभी आत्महत्या मानकर इस मामले की जांच कर रही है। कविता हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की छात्रा थी। परिवार की वह इकलौती बेटी थी। उसके पिता दुकान चलाते हैं। कविता पढ़ाई लिखाई में काफी अच्छी थी। छात्र राजनीति में भी काफी सक्रिय थी। क्षेत्र के लोगों के बीच उनकी अच्छी खासी पैठ थी। इसके बाद उन्होंने जिला परिषद का चुनाव जीता और लोगों की सेवा करने की ठानी। मंगलवार को अचानक उन्होंने आत्महत्या करने का कदम क्यों उठाया इसको लेकर उनके सहपाठी भी सकते में है।

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विशेषज्ञों की मानें तो पारिवारिक रिश्तों में आई दरार, नैतिक मूल्यों में गिरावट, नशे का चलन, संस्कार की कमी, रोजगार के साधनों का अभाव और कृषि, पशुपालन से विमुख होना जैसी कई वजह सामने आ रही हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि इस तरह के विचार आए तो स्वजनों को समझाने की आवश्यकता है। मरने की बात नहीं, जीने की बात करना अनिवार्य है।

काउंसलिंग देकर बनाया जा सकता है स्वस्थ : डा. दिवेश

आइजीएमसी के मनोचिकित्सक विभाग के डा. दिवेश ने बताया कि आत्महत्या के कई कारण है। तनावग्रस्त लोगों की काउंसलिंग और मानसिक चिकित्सा देकर उन्हें स्वस्थ बनाया जा सकता है। आत्महत्या के मामलों के लिए अधिकांश तनाव जिम्मेदार है। पीडि़त को लगता है कि उसके जीने का कोई मकसद नहीं है और वह आत्महत्या का रास्ता चुन लेता है। मरीज में इस तरह के लक्षण कई दिन पहले दिखने शुरू हो जाते हैं। ऐसे में परिवार के सदस्य तो उसकी काउंसलिंग करें। यदि खुद काउंसलिंग नहीं कर सकते तो किसी मनोचिकित्सक के पास ले जाए।  समय पर यदि उपचार हो तो मरीज ठीक हो जाता है।   

सोच हमेशा सकारात्मक रखे: डाक्‍टर जिंटा

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के प्रो. आरएल जिंटा ने बताया कि तनाव के कारण आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। उन्हेांने कहा कि युवा जो अधिक पढ़ा लिखा होता है नौकरी न मिलने के कारण डिप्रैशन में आ जाता है। इसके अलावा घर का दबाव, रिश्तों में खटास जैसे कारण भी आत्महत्या की तरफ प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि यदि कोई अकेलापन महसूस कर रहा है तो उस सूरत में उसे परिवार व दोस्तों का स्पोर्ट मिलना जरूरी है।


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