बोले श्रीकंठ चौधरी, नगर निगम चुनाव में अोबीसी वर्ग को सरकार ने ठगा
नगर निगम चुनावों में सरकार ने ओबीसी के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है। चुनाव से पहले कैबिनेट अायोजित कर खबर दी गई कि चारों नगर निगमों में मेयर की सीट ओबीसी को रिज़र्व होगी। परंतु चुनाव अधिसूचना में एससी एसटी महिलाओं को तो वार्ड आरक्षित कर दिए।
धर्मशाला, जेएनएन। नगर निगम चुनावों में सरकार ने ओबीसी वर्ग के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है। चुनाव से पहले कैबिनेट अायोजित कर खबर दी गई कि चारों नगर निगमों में मेयर की सीट ओबीसी को रिज़र्व होगी। परंतु चुनाव अधिसूचना में एससी, एसटी महिलाओं को तो वार्ड आरक्षित कर दिए लेकिन ओबीसी को कोई भी सीट रिजर्व नहीं की गई।
जब नगर निगम में ओबीसी को एससी-एसटी की तर्ज़ पर आरक्षण ही नहीं दिया गया, तो मेयर की सीट ओबीसी के वोट लेने के लिए आराक्षित करने की घोषणा क्यों की गई। यह ओबीसी के साथ घोखा ओर बहुत बड़ा छल किया गया है। सरकार अब इसका फल भुगतने के लिए 2022 के विधानसभा चुनावों में तैयार रहे। पचांयती राज एक्ट में जब एससी, एसटी महिलाओं को आरक्षण का प्रावधान किया गया, तो ओबीसी के साथ क्यों भेदभाव पूर्ण स्वैया अपनाया गया। ओबीसी को आरक्षण क्यों नहीं दिया गया।
सरकार हर जगह ओबीसी के साथ अन्याय कर रही है। संविधान में वर्ष 2005 में किऐ गऐ 93वें संविधान संशोघन और रिज़रवेशन इन ऐजुकेशन इनस्टी एक्ट 2006 को हिमाचल में आज तक लागू नही किया, जिसमें ओबीसी को नौकरियों और शिक्षण सस्थानों में दाखिले में 27 प्रतिशत दिया गया है। जिसे लागू करने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व सभी मंत्रियों को तीन तीन वार क्षात्रिय घृत वाहती चाहंग महासभा के प्रदेश अध्यक्ष श्रीकंठ चौघरी की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल सुखराम चौधरी, रमेश धवाला, अरूण कूका के नेतृत्व में मांग पत्र सौंप चुके हैं।
लेकिन सरकार के कान पर ज्यूं तक नही रेंगंती , सरकार ओबीसी के संविधानिक अधिकारों को दवा कर बैठी है। वर्ष 2019 में हुए संविधान के 103वें संशोघन को लागू करके सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर हर जगह 10प्रतिशत आरक्षण प्रदान कर दिया और मेडिकल कॉलजों में 64 सीटें आरक्षित कर दी। लेकिन ओबीसी को 18 प्रतिशत आरक्षण होते हुए भी मात्र 14 सीटें दी हैं। सरकार हर जगह ओबीसी के साथ भेदभाव कर रही है।