मानसिक विकार है बच्चा चोरी की अफवाहें फैलाना, जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य व मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. रवि शर्मा के अनुसार व्यक्ति मनोवैज्ञानिक विकार होने की वजह से ऐसी अफवाहें फैलाता है।
धर्मशाला, जेएनएन। देशभर में बच्चा चोर गिरोह के सक्रिय होने की अफवाहों ने जोर पकड़ा हुआ है। अफवाह का भय दिलोदिमाग पर इस हद तक हावी हो चुका है कि कई गांवों में लोग रातभर जागकर पहरा दे रहे हैं और गली मोहल्लों में बच्चा चोर की तलाश रहे हैं। अभी तक बच्चा चोरी होने की एक भी वारदात सामने नहीं आई है। लेकिन लोगों के मन में इसे लेकर खासा डर बैठ गया है।
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य व मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. रवि शर्मा के अनुसार व्यक्ति मनोवैज्ञानिक विकार होने की वजह से ऐसी अफवाहें फैलाता है। जब व्यक्ति को सोशल मीडिया या अन्य स्नोत के माध्यम से बच्चा चोर गिरोह सक्रिय होने की बात पता चलती है, तब वह बिना सोचे समझ आसपास यह बात फैलाना शुरू कर देता है।
ये ऐसे लोग होते हैं, जोकि जीवन में किसी परिस्थिति के कारण तनाव या चिंता में होते हैं। चिंता दूर करने के लिए भी ये लोग ऐसा करते हैं। वर्तमान में चिकित्सा विभाग के निदेशक डॉ. रवि ने कहा कि हालांकि यह किसी प्रकार की गंभीर बीमारी नहीं है। इसे नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता। इसमें लोगों को सजग रहने की आवश्यकता है।
अस्पतालों में भी बच्चों के बदलने की घटनाएं कई बार सामने आई हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने इसे गंभीरता से लेते हुए जन्म होते ही टैग लगाने की योजना शुरू की है। इसमें बच्चे के जन्म का समय और सीरियल नंबर लिखा जाता है। उन्होंने कहा कि अधिकतर जनजातीय इलाकों में चोर गिरोहों के सक्रिय होने की अफवाहों को शह दी जाती है। अफवाह फैलाने वाले लोग ऐसा कर मानसिक संतुष्टि महसूस करते हैं। वह इसे मनोवैज्ञानिक सुरक्षा कवच समझ लेते हैं।
सोशल साइट्स से मिल रहा अफवाहों को बल
फेसबुक, वाट्सएप सहित तमाम सोशल साइट्स पर फैलाए जा रहे झूठे संदेश अफवाहों को बल दे रहे हैं। कई पोस्ट में तो महिलाओं, साधु, भिखारी व कार-ट्रक आदि वाहनों में भरे बच्चों को दिखाया जा रहा है और पोस्ट में लिखा जा रहा है कि ये सब बच्चा चोर हैं। ऐसे में कई स्थानों पर निदरेष लोगों के पीटे जाने की घटनाएं सामने आ रही हैं।