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बुजुर्ग मां पर टूटा दुखों का पहाड़, इकलौते सहारे ने मार ली खुद को गोली; दो बेटे मानसिक रूप से बीमार

बुढ़ापे का सहारा होने के साथ बेटा मेरा हौसला भी था जो अब टूट गया है। उस पर ही तो मेरे दो मानसिक रूप से बीमार बेटों की देखरेख का जिम्मा था।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Sat, 16 May 2020 01:41 PM (IST)Updated: Sat, 16 May 2020 01:41 PM (IST)
बुजुर्ग मां पर टूटा दुखों का पहाड़, इकलौते सहारे ने मार ली खुद को गोली; दो बेटे मानसिक रूप से बीमार
बुजुर्ग मां पर टूटा दुखों का पहाड़, इकलौते सहारे ने मार ली खुद को गोली; दो बेटे मानसिक रूप से बीमार

भवारना, शिवालिक नरयाल। बुढ़ापे का सहारा होने के साथ बेटा मेरा हौसला भी था, जो अब टूट गया है। उस पर ही तो मेरे दो मानसिक रूप से बीमार बेटों की देखरेख का जिम्मा था। कभी नहीं सोचा था कि वह हमें इस तरह छोड़ कर चला जाएगा। यह कहना है पनापर (परौर) पंचायत के गांव टांडा की 70 वर्षीय धनी देवी का। धनी देवी का सबसे बड़ा बेटा स्वरूप चंद दिल्ली में पुलिस विभाग में नौकरी करता था। उसने अपनी सर्विस पिस्टल से वीरवार सायं गोली मार जान दे दी थी। मौत का समाचार मिलने के बाद से गांव में हर कोई स्तब्ध है।

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धनी देवी पर अब इस बुढ़ापे में दो बेटों की देखरेख का जिम्मा आ गया है। स्वरूप चंद सबसे बड़ा था। उसके दोनों छोटे भाई जन्म से ही मानसिक रूप से कमजोर हैं। वे मां के सहारे के बिना कोई काम नहीं कर पाते हैं। ऐसे में धनी देवी को बड़े बेटे पर दोनों की देखरेख की आस थी, जो अब टूट गई है। बुजुर्ग मां को दोनों बेटों की चिंता सता रही है।

धनी देवी के पति संतराम का काफी साल पहले निधन हो चुका है। वह सेना में थे। इसके बाद उन्होंने वन विभाग में भी नौकरी की थी, जिस कारण धनी देवी को उनकी दो पेंशन मिलती हैं, जबकि दोनों बेटों को भी दिव्यांग पेंशन मिलती है। पनापर पंचायत के प्रधान दिनेश परिहार ने बताया कि पूरी कोशिश है कि स्वरूप चंद की देह को उसके पैतृक गांव लाया जाए। इसके लिए अनुमति मांगी जा रही है। दिनेश परिहार ने बताया कि स्वरूप चंद काफी मिलनसार था।

मार्च में घर आया था बड़ा बेटा, मिलकर खेली थी होली

धनी देवी का बड़ा बेटा स्वरूप चंद और उसका परिवार अभी हाल ही में मार्च में घर पर आया था। सभी ने उसके छोटे बेटों के साथ मिलकर होली खेली थी, लेकिन दो महीने बाद ही यह खुशियां मातम में बदल जाएंगी यह किसी को भी नहीं पता था। स्वरूप चंद काफी मिलनसार था।

यह है मामला

जिला कांगड़ा की पनापर पंचायत के गांव टांडा निवासी स्वरूप चंद दिल्ली के आइजीआइ एयरपोर्ट थाना में बतौर हेड कांस्टेबल तैनात था। परिवार में उसकी पत्नी, बेटा व बेटी भी उसके साथ रहते थे। बुधवार को ही स्वरूप सेल्फ क्वारंटाइन पूरा करने के बाद ड्यूटी पर गया था। वीरवार सायं परिवार के सभी सदस्य आपस में बातें कर रहे थे तो स्वरूप अपने कमरे में अके

ला था तभी सर्विस रिवाल्वर से जान दे दी थी।


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