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अकबर नहर झाड़ियों और मिट्टी से तो निकली पर सहेजने के लिए एक रुपया खर्च नहीं कर पाया मंदिर न्यास

Akbar Canel Jawalamukhiविश्व विख्यात शक्तिपीठ श्रीज्वालामुखी मंदिर में शहंशाह अकबर ने माता की परीक्षा लेने के लिए कभी पहाड़ों का सीना चीरकर नहर में पानी मंदिर तक लाकर ज्योतियों को बुझाने का प्रयास किया था। समय की धारा के साथ बहते हुएनहर मिट्टी और झाड़ियों के बीच दब गई।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 09:37 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 09:37 AM (IST)
अकबर नहर झाड़ियों और मिट्टी से तो निकली पर सहेजने के लिए एक रुपया खर्च नहीं कर पाया मंदिर न्यास
विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्रीज्वालामुखी मंदिर में अकबर ने नहर बनाकर ज्योतियों को बुझाने का प्रयास किया था।

ज्वालामुखी, करुणेश शर्मा। विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्रीज्वालामुखी मंदिर में शहंशाह अकबर ने माता की परीक्षा लेने के लिए कभी पहाड़ों का सीना चीरकर नहर में पानी मंदिर तक लाकर ज्योतियों को बुझाने का प्रयास किया था। समय की धारा के साथ बहते हुए यह नहर मिट्टी और झाड़ियों के बीच दब गई। स्थानीय विधायक एवं राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला को पुराने बुजुर्गों ने बताया था कि यहां पर शहंशाह अकबर की नहर के अवशेष अभी भी कई स्थानों पर देखे जा सकते हैं उन्होंने इस प्राचीन धरोहर को सहेजने और इसके उचित रखरखाव के लिए सरकार बनने के साथ ही करीब तीन साल तक कड़े प्रयास किए और शहंशाह अकबर की नहर को मिट्टी और झाड़ियों के बीच में से निकालकर कुछ स्थानों पर इसे साफ करवाया। साथ ही मंदिर प्रशासन को निर्देश दिए कि इस प्राचीन धरोहर को सहेजने और इसके उचित रखरखाव के लिए यहां पर पैसा खर्च किया जाए।

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रमेश धवाला ने सुझाव दिया था  कि मंदिर के इतिहास के साथ यदि शहंशाह अकबर और ध्यानू भक्त जैसे महान विभूतियों की गाथाएं जुड़ी हुई हैं तो क्यों न उनकी स्मृतियों को सहेज कर इतिहास के पन्नों से बाहर निकाल कर यहां पर आने वाले माता के भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाया जाए। इससे यात्रियों को यहां आने पर इस नहर के दर्शन हो सके शहंशाह अकबर की कहानी के बारे में पता चल सके और माता के अनन्य भक्त ध्यानू भक्त के धार्मिक विचारों और मां के प्रति उनकी अगाध श्रद्धा के बारे में जानकारी हासिल हो सके। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था। लेकिन मंदिर प्रशासन ने रमेश धवाला के बार-बार निर्देश मिलने पर भी इस प्राचीन धरोहर को सहेज कर रखने और यात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाने के लिए एक रुपया भी खर्च नहीं किया।

आज तक तीन सालों में इस कार्य के लिए कोई भी प्रयास नहीं किए गए। मंदिर के कर्मचारियों से लॉकडाउन के दौरान झाड़ियों और मिट्टी में दबी इस प्राचीन धरोहर शहंशाह अकबर की नहर को निकाला जरूर था। लेकिन उस पर कोई काम नहीं हुआ, जिससे इस नहर के दोबारा मिट्टी और झाड़ियों में दब जाने का अंदेशा नजर आने लगा है।

उधर सहायक मंदिर आयुक्त एवं एसडीएम ज्वालामुखी धनवीर ठाकुर ने कहा विधायक रमेश धवाला के निर्देश पर प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। यात्रियों व जनता के हित में काम करवाए जाएंगे।


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