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श्रावण अष्टमी मेलाः हिमाचल के शक्तिपीठों में उमड़े श्रद्धालु

सावन अष्टमी नवरात्र मेले के पहले दिन चिंतपूर्णी मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 12 Aug 2018 04:31 PM (IST)Updated: Sun, 12 Aug 2018 04:31 PM (IST)
श्रावण अष्टमी मेलाः हिमाचल के शक्तिपीठों में उमड़े श्रद्धालु
श्रावण अष्टमी मेलाः हिमाचल के शक्तिपीठों में उमड़े श्रद्धालु

जागरण टीम, चिंतपूर्णी/कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश के शक्तिपीठों में रविवार को श्रावण अष्टमी मेला शुरू हो गया। चामुंडा देवी, बज्रेश्वरी देवी, ज्वालाजी, श्री चिंतपूर्णी व नयनादेवी के कपाट सुबह ही खुल गए थे। मेले के पहले दिन चिंतपूर्णी मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। करीब तीस हजार हजार श्रद्धालुओं ने मां के दरबार में हाजिरी लगाई और पूजा-अर्चना कर जीवन में सुख-स्मृद्धि की कामना की।

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अधिकतर श्रद्धालु मंदिर के समीप चौकियां लगाकर भजन व भेंटे गाते हुए रात को ही मंदिर खुलने का इंतजार कर रहे थे। दिन भर पूरे बाजार में भीड़ रही और दर्शनों की लाइन भी पुराने बस अड्डे तक रही। श्रद्धालुओं के साथ प्रशासनिक अधिकारियों ने भी मां के दरबार में सपरिवार मां की पवित्र पिंडी के दर्शन किए।

कांगड़ा में श्री बज्रेश्वरी देवी मंदिर में लाइन में लगे श्रद्धालु।

नयनादेवी में श्रावण अष्टमी मेले के पहले दिन रविवार को ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ने की उम्मीद थी, लेकिन प्रशासन शायद इसके लिए तैयार नहीं था। बीती रात को श्रद्धालुओं का भारी सैलाब माता के दर्शनों के लिए उमड़ा तथा सारी व्यवस्थाएं धरीं की धरीं रह गईं। प्रशासनिक अधिकारी भारी भीड़ में फंस गए। उन्हें भी उसमें निकलने के लिए काफी समय लग गया।

श्रावण अष्टमी मेलों को लेकर कांगड़ा के शक्तिपीठों में भी श्रद्धालु पहुंचे। मां ज्वालामुखी की अलौकिक ज्योतियों के दर्शन के लिए श्रद्धालु सुबह ही मंदिर पहुंचे। वहीं, मां चामुंडा नंदीकेश्वर धाम में भी श्रद्धालुओं ने श्रावण मेले के पहले दिन माथा टेका। कांगड़ा बज्रेश्वरी माता मंदिर में भी श्रद्धालुओं ने मां के जयकारे लगाए व पूजा-अर्चना की। तीन शक्तिपीठों में मां के जयकारे लगाते हुए भक्त माथा टेकना पहुंच रहे हैं।

श्रावण अष्टमी मेला के पहले दिन मां बज्रेश्वरी के द्वार में उम्मीद से कहीं कम भीड़ जुटी। श्रद्धालु मां बज्रेश्वरी के जयकारे लगाते हुए मंदिर पहुंचे और माथा टेक कर प्रसाद ग्रहण किया। जिन लोगों की मुरादें पूरी हुई हैं, वे श्रद्धालु अपने नाते रिश्तेदारों के साथ जातर के रूप में मां बज्रेश्वरी के दरबार में पहुंचे।


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