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Shardiya Navratri: हिमाचल में नवरात्र पर श्रद्धालुओं को मंदिरों में नहीं मिलेगा प्रवेश, जानिए सरकार के निर्देश

Shardiya Navratri Guidelines Himachal हिमाचल प्रदेश में नवरात्र के दौरान श्रद्धालुओं को मंदिरों व शक्तिपीठों में प्रवेश नहीं मिलेगा। श्रद्धालुओं को श्री ज्‍वालामुखी श्री चिंतपूर्णी सहित अन्‍य शक्तिपीठों व मंदिरों में बाहर से दर्शन करने होंगे। कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचने के लिए सरकार ने निर्णय लिया है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Tue, 05 Oct 2021 08:23 AM (IST)Updated: Tue, 05 Oct 2021 08:23 AM (IST)
Shardiya Navratri: हिमाचल में नवरात्र पर श्रद्धालुओं को मंदिरों में नहीं मिलेगा प्रवेश, जानिए सरकार के निर्देश
हिमाचल प्रदेश में नवरात्र के दौरान श्रद्धालुओं को मंदिरों व शक्तिपीठों में प्रवेश नहीं मिलेगा।

शिमला/धर्मशाला, जेएनएन। Shardiya Navratri Guidelines Himachal, हिमाचल प्रदेश में नवरात्र के दौरान श्रद्धालुओं को मंदिरों व शक्तिपीठों में प्रवेश नहीं मिलेगा। श्रद्धालुओं को श्री ज्‍वालामुखी, श्री चिंतपूर्णी सहित अन्‍य शक्तिपीठों व मंदिरों में बाहर से दर्शन करने होंगे। कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचने के लिए सरकार ने निर्णय लिया है। सात अक्‍टूबर से शारदीय नवरात्र शुरू होंगे व 15 को संपन्‍न होंगे। अतिरिक्‍त मुख्‍य सचिव आरडी धीमान ने इस संबंध में सभी जिलों के उपायुक्‍त को निर्देश जारी कर दिए हैं। श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर में आने की अनुमति होगी, लेकिन मंदिर गर्भ गृह में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। श्रद्धालु बाहर से ही दर्शन कर वापस लौटाए जाएंगे, ताकि लाइनें लगनी की नौबत न आए व भीड़ न जुटे। शक्तिपीठों में खुला प्रसाद नहीं दिया जाएगा व भंडारों का भी आयोजन नहीं किया जाएगा।

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इसके अलावा जिला शिमला में भंडारे व भगवती जागरण के लिए भी अनुमति नहीं मिल पाएगी। आगामी कुछ दिनों में नवरात्र शुरू हो रहे हैं। पिछले साल की तर्ज पर इस साल भी मंदिरों में इन आयोजनों पर रोक लगी रहेगी। पिछले साल कोरोना के खतरे के चलते मंदिर बंद रहे और इस साल चैत्र नवरात्र पर मंदिर खुले थे लेकिन भगवती जागरण, भंडारे सहित मंदिर में चढ़ावा चढ़ाने पर रोक थी। शिमला में हर साल चैत्र और शारदीय नवरात्र पर मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड़ता था। शहर के तारादेवी मंदिर, संकटमोचन और जाखू मंदिर में भंडारों के साथ अन्य आयोजन भी किए जाते थे।

नवरात्र के बाद दशहरे के पर्व के लिए खासकर जाखू मंदिर में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते थे और दीपावली से पहले कई स्थानों पर रामलीला का आयोजन लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहते थे। लेकिन कोरोना काल में इन सब आयोजनों पर रोक लगने के बाद श्रद्धालुओं में अब सार्वजनिक तौर पर इन उत्सवों को मनाने की उत्सुकता है। रामलीला व दशहरा के आयोजन पर सरकार ने अभी स्‍थिति स्‍पष्‍ट नहीं की है।


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