निर्भया के दोषियों की फांसी टलने पर छलका शांता कुमार का दर्द, बोले- उपहास बनती जा रही है पूरी व्यवस्था
Shanta Kumar Pain Spill भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने निर्भया के दोषियों की फांसी फिर टलने रोष जताया है।
पालमपुर, जेएनएन। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने निर्भया के दोषियों की फांसी फिर टलने रोष जताया है। शांता कुमार ने कहा निर्भया कांड के अपराधियों की फांसी फिर टल गई। कई वर्ष बीत गए, पूरी व्यवस्था एक उपहास बनती जा रही है। छोटे छोटे बहानों पर नई पेशी मिल रही है। अपराधी ने वकील बदलने के लिए पेशी मांगी। क्या अपराधी को पेशी पर आने से पहले वकील नहीं बदलना चाहिए था?
यह विलंब देश के करोड़ों लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ और अन्याय है। यह उन अपराधियों के साथ भी अन्याय है, उन्हें केवल एक बार फांसी की सजा हुई है, परंतु इस प्रकार उन्हें प्रतिदिन फांसी दी जा रही है। उन्होंने कहा यही कारण है कि हैदराबाद जैसे एनकाऊंटर पर सारा देश खुशी से झूम उठता है और निर्भया की फांसी टालने से पूरा देश लज्जित अनुभव कर रहा है। क्या सब प्रकार की कानूनी औपचारिकताएं केवल एक साल में पूरी नहीं की जा सकतीं? और क्या यह सब करने के लिए किसी अवतार का इंतजार किया जा रहा है।
बहुत दुख की बात है की महिलाओं से संबंधित उत्पीडऩ के मामलों में कानून भी मूक बनकर तमाशा देखता है। राजनीतिक पार्टियां भी ऐसे मामलों में राजनीति करने से नहीं चूकती हैं। देश में कुछ दिन धरना प्रदर्शन होते हैं, उसके बाद सबकुछ कानून के भरोसे छोड़ दिया जाता है। देश में महिलाओं से जुड़े ऐसे कई मामले हैं, जिन पर अब तक कोई फैसला नहीं सुनाया गया है।
अपराधी मजे से घूम रहे हैं, लेकिन कानून से तारीक के अलावा कुछ नहीं मिलता है। देश की कानून व्यवस्था में सुधार लाना बहुत जरूरी है, अन्यथा लोगों को कानून से विश्वास उठ जाएगा। कानून कोई फैसला नहीं लेता है जिस कारण अपराधियों के हौसले और मजबूत होते हैं। निर्भया कांड 16 दिसंबर 2012 में हुआ था, तब से देश और निर्भया के परिवार के सदस्य उसे न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं।