Move to Jagran APP

जनसंघ की ध्वजवाहक लीला टंडन के निधन पर भावुक शांता कुमार बोले, लीला से मिला बहन का प्यार

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने महिला नेत्री लीला टंडन के निधन पर शोक जताया है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 01 Apr 2020 08:22 AM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2020 08:22 AM (IST)
जनसंघ की ध्वजवाहक लीला टंडन के निधन पर भावुक शांता कुमार बोले, लीला से मिला बहन का प्यार
जनसंघ की ध्वजवाहक लीला टंडन के निधन पर भावुक शांता कुमार बोले, लीला से मिला बहन का प्यार

पालमपुर/मंडी, जेएनएन। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने महिला नेत्री लीला टंडन के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा कि आज जो पार्टी विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बन गई और दिल्ली से शिमला तक जिसका राज्य है, उसके भव्य भवन का नींव पत्थर लीला टंडन आज हमसे हमेशा के लिए अलग हो गई हैं। शांता ने कहा कि इमरजेंसी के दिनों में जेल गई थीं। बकौल शांता, उनके परिवार के साथ 1962 से संबंध रहा है। शांता ने कहा कि लीला टंडन से एक बहन का प्यार मिलता रहा है। वह बेटे के साथ चंडीगढ़ रहती थीं और 15 दिन पहले वह उनसे मिलने चंडीगढ़ गए थे। वह शारीरिक रूप से बहुत पीड़ित थीं। पीजीआइ चंडीगढ़ में उनका उपचार किया जा रहा था। बकौल शांता, बहन लीला की कमी हमेशा खलती रहेगी।

loksabha election banner

पंजाब के खरड़ में हुआ निधन

भारतीय जनसंघ की ध्वजवाहक व भाजपा की संस्थापक सदस्य लीला टंडन का पंजाब के खरड़ में मंगलवार सुबह निधन हो गया। लीला टंडन वहां अपने बेटे हरीश चंद्र टंडन के साथ रहती थीं। वह काफी समय से बीमार थीं। वह जनसंघ के दौर में प्रदेश में एकमात्र महिला नेत्री थीं। लीला टंडन किशोरी लाल वैद्य, ठाकुर जगदेव चंद, गंगा सिंह ठाकुर, शांता कुमार, रूप सिंह ठाकुर के साथ राजनीति में सक्रिय रहीं। वह नगर परिषद मंडी की मनोनित पार्षद, प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष व राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रहीं। उन्होंने महिलाओं को राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय करने व संगठन को मजबूत करने में अपना जीवन समर्पित किया। आपातकाल के दौरान जेल में रहकर उन्होंने कष्ट व यातनाएं सहकर काले कानून का डटकर विरोध किया था।

सत्याग्रह आंदोलन में लिया था भाग

उन्होंने सत्याग्रह आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया था। उन्होंने मंडी के बालकरुपी बाजार से चौहाटा तक निकली विरोध रैली का नेतृत्व किया था। चौहाटा में आंदोलनकारियों को संबोधित किया था। उनके साथ दलीप चंद वैद्य भी थे। पुलिस ने चौहटा से ही दोनों को गिरफ्तार कर रात को थाना सदर में रखा। अगले दिन मंडी जेल में शिफ्ट कर दिया। इसके बाद पुलिस इन्हें धर्मशाला ले गई थी।

कुछ दिन बाद फिर मंडी जेल शिफ्ट कर दिया था। दोनों ने जमानत नहीं करवाई थी। लीला टंडन आपातकाल खत्म होने के बाद ही जेल से रिहा हुई थीं। 1977 में जनता पार्टी के टिकट से मंडी सदर से चुनाव लड़ा लेकिन हार गईं। 1990 में शांता कुमार सरकार में वह हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम की उपाध्यक्ष रहीं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने लीला टंडन के निधन पर शोक जताया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.