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संजय पराशर ने जमा-पूंजी को लुटने से बचाकर रोजगार भी दिलाया

जसवां-परागपुर क्षेत्र के गुरनबाड़ पंचायत के युवक शुभम और उसके स्वजन कैप्टन संजय पराशर को किसी फरिश्ते से कम नहीं मानते हैं। कारण यह है कि पराशर ने न सिर्फ इस परिवार की जमा पूंजी को लुटने से बचाया बल्कि युवक को अपनी कंपनी में रोजगार भी दिया।

By Virender KumarEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 07:50 PM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 08:40 PM (IST)
संजय पराशर ने जमा-पंजी को लुटने से बचाकर युवक को रोजगार भी दिलाया। जागरण आर्काइव

जेएनएन, चिंतपूर्णी/डाडासीबा। जसवां-परागपुर क्षेत्र के गुरनबाड़ पंचायत के युवक शुभम और उसके स्वजन कैप्टन संजय पराशर को किसी फरिश्ते से कम नहीं मानते हैं। कारण यह है कि पराशर ने न सिर्फ इस परिवार की जमा पूंजी को लुटने से बचाया, बल्कि युवक को अपनी कंपनी में रोजगार भी दिया। अब शुभम सम्मान के साथ समुद्री जहाज में बतौर नाविक नौकरी कर रहा है।

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दरअसल मर्चेंट नेवी में नौकरी पाने की लालसा में शुभम एंजेटगिरी के झांसे में फंस गया। इस दौरान एक एजेंट ने हजारों रुपये की चपत उसे लगा दी और डेढ़ लाख रुपये की मांग और की जाने लगी। इतना ही नहीं, शुभम के सर्टिफिकेट और जरूरी कागजात भी एजेंट ने जब्त कर लिए थे। इतने में शुभम के पिता देसराज का संपर्क कुछ समय पूर्व कैप्टन संजय से हुआ और अपनी व्यथा सुनाई। देसराज ने बताया कि 50 हजार रुपये से ज्यादा की राशि एजेंट ले चुका है और अब जहाज पर भेजने के लिए और पैसे की मांग कर रहा है। कैप्टन संजय द्वारा एजेंट व कंपनी की जांच-पड़ताल करने के बाद पाया गया कि नौकरी के नाम पर परिवार से ठगी की जा रही है। रिकार्ड समय में संजय ने मुंबई से शुभम के कागजात मंगवाए। इसके बाद संजय ने बाकायदा युवक को अपनी कंपनी वीआर मेरीटाइम सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड में रोजगार भी प्रदान कर दिया। शुभम इन दिनों समुद्री जहाज पर ही कार्यरत हैं। युवक का कहना था कि अगर पराशर न होते तो एक तो वह परिवार की गाढ़ी कमाई को लुटा देता और उसका भविष्य भी अंधकारमय हो जाता। पराशर ने परिवार की हालत देखकर उसे कुछ ही दिनों बाद नौकरी भी दे दी। अब जाब की गारंटी से आत्मसंतोष मिल रहा है और वह भी अब लग्न व मेहनत से काम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि पराशर जैसे नेक दिल इंसान बहुत कम मिलते हैं और उनका यह ऋण आजीवन नहीं उतार सकता। शुभम की माता वंदना देवी, जो कि गुरनबाड़ पंचायत की प्रधान भी हैं, ने बताया कि उन्हें अंदेशा हो गया था कि एंजेट उन्हें मूर्ख बनाकर पैसा हड़पना चाहता है, लेकिन बच्चे के भविष्य को देखकर वे पैसा देने को भी तैयार हो गए थे। यह तो भगवान का शुक्र रहा कि कैप्टन संजय से उनकी मुलाकात समय पर हो गई और अब बिना कोई पैसा खर्च किए बेटा नौकरी पर लग गया है। पिता देसराज ने बताया कि संजय पराशर हर आम आदमी की समस्या को सुनते हैं और उसका हल भी निकाल देते हैं।


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