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अब महिला आइएएस अधिकारी के खिलाफ आई अभियोजन की मंजूरी

भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में भारतीय जनता पार्टी की चार्जशीट के आधार पर अब महिला आइएएस अधिकारी के खिलाफ धर्मशाला में एफआइआर दर्ज होगी। लंबे अरसे बाद सरकार से अधिकारिक तौर पर एफआइआर दर्ज करने की मंजूरी मिली है।

By Neeraj Kumar AzadEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 09:15 PM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 09:15 PM (IST)
अब महिला आइएएस अधिकारी के खिलाफ आई अभियोजन की मंजूरी
अब महिला आइएएस अधिकारी के खिलाफ आई अभियोजन की मंजूरी।

रमेश सिंगटा, शिमला। भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में भाजपा की चार्जशीट के आधार पर अब महिला आइएएस अधिकारी के खिलाफ धर्मशाला में एफआइआर दर्ज होगी। लंबे अरसे बाद सरकार से अधिकारिक तौर पर एफआइआर दर्ज करने की मंजूरी मिली है। मंजूरी की फाइल सचिवालय के गलियारों में बड़े बाबुओं के पास औपचारिकताओं के फेर में फंसी हुई थी।

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राज्य सचिवालय से अब फाइल राज्य विजिलेंस एंड एंटी क्रप्शन ब्यूरो मुख्यालय पहुंच गई है। इसके आधार पर धर्मशाला थाने में एफआइआर दर्ज होगी। यह एफआइआर कुछ दिन में ही दर्ज हो जाएगी। पहले ही देरी हो चुकी है, ज्यादा देरी नहीं होगी। नियमित जांच समयबद्व तरीके से पूरी करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। इससे पूर्व लोङ्क्षनग कमेटी के खिलाफ मामला दर्ज करने की मंजूरी पहले मिल गई थी। एफआइआर एक साथ दर्ज होगी। इसमें तत्कालीन लोङ्क्षनग कमेटी के सदस्यों, इसके मुखिया और महिला अधिकारी को आरोपित बनाया जाएगा। इससे इस आइएएस अधिकारी की मुश्किलें बढऩी तय मानी जा रही है। हालांकि यह अधिकारी अपना पक्ष रखने से इंकार कर रही हैं।

बैंक से जुड़ा है मामला

मामला कांगड़ा केंद्रीय सहकारी (केसीसी) बैंक में कर्जे आवंटन में बरती गई अनियमितताओं का है। करीब दो महीने पहले एक आला अधिकारी हस्ताक्षर कर चुके हैं। बावजूद इसके औपचारिकताएं पूरी ही नहीं हो पा रही थीं। यह मामला भाजपा की चार्जशीट का हिस्सा है।

क्या पाया रिपोर्ट में

फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट के आधार पर इनमें विजिलेंस एंगिल पाया गया। आरोप है कि पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ऊना के गगरेट की एक फर्म को 38 करोड़ का कर्ज दिया गया। इनमें कथित तौर पर अनियमितताएं पाई गई हैं। आइएएस महिला अधिकारी भी केसीसी बैंक की प्रबंधक निदेशक रही हैं। जैसे ही नियमित जांच आरंभ होगी, इनके भी पूछताछ होगी। इसके अलावा लोङ्क्षनग कमेटी की भूमिका भी सवालों के घेरे में रही है। नियमों के खिलाफ कर्जा कैसे बांटा, अब नियमित जांच में सभी पहलुओं को देखा जाएगा।

पूर्व कांग्रेस सरकार में गगरेट की एक फर्म को 17-18 करोड़ का कर्जा दिया गया था। तब बैंक की एमडी महिला अधिकारी थीं। इनमें नियमों की उल्लंघना हुई है। मौजूदा प्रबंधन अनियमितताएं बरतने वालों के खिलाफ कानूनन कार्रवाई कर रही है। बाकी विजिलेंस जांच के बारे में हम कुछ नहीं कह सकते हैं।

-डा. राजीव भारद्वाज, अध्यक्ष, केसीसी बैंक, धर्मशाला।


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