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    Himachal: सुरक्षित यातायात के लिए चालान ही नहीं समाधान, मंडलायुक्‍त अक्षय सूद ने बताया कैसे रोकें हादसे

    By Jagran NewsEdited By: Rajesh Kumar Sharma
    Updated: Wed, 30 Nov 2022 10:45 AM (IST)

    Road Safety With Jagran सड़क सुरक्षा कहने के लिए सिर्फ दो शब्द हैं लेकिन इसके मायने और जिम्मेदारी बहुत बड़ी है। जिम्मेदारी का अर्थ यह नहीं है कि इसे पूरा करने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। मंडलायुक्त अक्षय सूद ने सड़क सुरक्षा पर राय रखी।

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    धर्मशाला मंडल के आयुक्‍त आइएएस अधिकारी अक्षय सूद

    धर्मशाला, जागरण संवाददाता। Road Safety With Jagran, सड़क सुरक्षा कहने के लिए सिर्फ दो शब्द हैं लेकिन इसके मायने और जिम्मेदारी बहुत बड़ी है। जिम्मेदारी का अर्थ यह नहीं है कि इसे पूरा करने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। इस दिशा में छोटे-छोटे प्रयास करने होंगे और वह भी घर से। छोटे प्रयासों के बड़े परिणाम आएंगे। लोगों को जागरूक करने के लिए आज हमें सड़क सुरक्षा अभियान चलाने पड़ रहे हैं व क्लब बनाने पड़ रहे हैं। अगर इन अभियानों के मायने सब लोग समझ जाएं तो सड़क सुरक्षा अभियान चलाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। इस दिशा में सरकार और प्रशासन के अलावा समाजसेवी संस्थाओं की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन और करने की जरूरत है। पुलिस प्रशासन की ओर से जो चालान प्रक्रिया की जाती है वह सही है, लेकिन यह संपूर्ण समाधान नहीं है। जागरूकता के अंधेरे वाले क्षेत्रों में कार्रवाई की गाज से रोशनी नहीं जगाई जा सकती। दैनिक जागरण के सड़क सुरक्षा महाअभियान के तहत दैनिक जागरण के मुनीष गारिया ने मंडलायुक्त अक्षय सूद से बातचीत की। पेश हैं कुछ अंश:-

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    जिला कांगड़ा व चंबा में 45 ब्लैक स्पाट हैं, इन्हें सुधारने के लिए क्या किया जाना चाहिए?

    ब्लैक स्पाट का निर्धारण विभिन्न विभागों की ओर से किया जाता है। इस दिशा में लोक निर्माण विभाग, पुलिस प्रशासन और 108 आपातकालीन सेवा प्रबंधन की ओर से अपने-अपने स्तर पर काम किया जाता है। सभी विभाग स्वतंत्र कार्य करते हैं। पिछले कुछ समय से ब्लैक स्पाट सुधारे हैं। यह प्रयास निरंतर जारी रहना चाहिए।

    यातायात नियमों के लिए पुलिस प्रशासन की कार्रवाई कितनी सही है?

    यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ पुलिस प्रशासन की ओर किए जाने वाले चालान वैसे तो बहुत जरूरी हैं, इससे लोगों में चेतना रहती है। निजी तौर पर बात करें तो यह पूर्ण समाधान नहीं है। इसके लिए लोगों को खुद ही जागरूक होना होगा।

    सड़क सुरक्षा के लिए जो अभियान चलाए जा रहे हैं वे कितने सार्थक हैं?

    सभी जिलों में प्रशासन, पुलिस और परिवहन विभाग की ओर से जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। इसके अलावा शिक्षा विभाग की ओर से भी जागरूक किया जाता है। प्रशासन और विभागों को चाहिए कि शैक्षणिक संस्थानों में जागरूकता पर ज्यादा जोर देना चाहिए।

    स्कूली बच्चों को जागरूक करने की कितनी जरूरत?

    जितनी छोटी कक्षा वाले बच्चों को सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूक किया जाएगा उसके उतने ही अच्छे परिणाम आएंगे। बच्चे जब घर जाकर स्वजन को वाहन चलाते वक्त नियमों का पालन करने के लिए कहेंगे तो स्वजन भी इनकार नहीं कर सकेंगे। नियमों का पालन करना उनकी आदत बन जाएगी।

    सड़क हादसे कम करने के लिए प्रशासन और पुलिस को क्या करना चाहिए?

     सड़क हादसों को कम करना लोगों की खुद ही जिम्मेदारी एवं कर्तव्य है। अगर लोग यातायात नियमों का पालन कर वाहन चलाएंगे तो प्रशासन और विभागों को सड़क सुधारीकरण का कार्य करने के अलावा और कुछ भी करने की जरूरत नहीं रहेगी।

    आप जनता से क्या अपील करेंगे?

    यातायात नियम जनता की सुरक्षा के लिए ही बनाए हैं। इन्हें बोझ न समझकर कर्तव्य समझें। सबसे बड़ी बात यह है कि बच्चों के समक्ष हमेशा नियमों का पालन करते हुए वाहन चलाएं। स्वजन के अनुसार ही बच्चों का मानसिक विकास होता है। दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट जरूरत पहनें।