गोद लिए गांव में ही पैसा खर्च करना भूलीं सांसद महोदया
Viplab not spend money in adopt village masrur राज्यसभा सदस्य विप्लव ठाकुर ने मसरूर गांव गोद लिया था लेकिन पांच साल में सांसद निधि का एक भी पैसा खर्च नहीं हो पाया है।
नगरोटा सूरियां, रक्षपाल धीमान। रॉक कट टैंपल से मशहूर मसरूर को आदर्श गांव बनाने की योजना को पांच साल बाद भी आधारभूत ढांचा नहीं मिल पाया है। वर्ष 2014 में केंद्र सरकार की ओर से शुरू की गई सांसद आदर्श गांव योजना के तहत मसरूर को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए राज्यसभा सदस्य विप्लव ठाकुर ने गोद लिया था लेकिन पांच साल में सांसद निधि का एक भी पैसा खर्च नहीं हो पाया है। नतीजतन पीर बिंदली से मसरूर टैंपल तक जाने वाली सड़क बदहाली पर आंसू बहा रही है। हालांकि पंचायत ने रूटीन वर्क में पांच शौचालय और तीन हैंडपंप जरूर लगाए हैं। पंचायत के द्रम्मण, घरियार, कपाहड़ी, ढोली खाल व भियाल क्षेत्र आज भी सड़क से महरूम हैं।
ग्रामीणों का आरोप है राज्यसभा सदस्य विप्लव ठाकुर को हर साल छह करोड़ रुपये सांसद निधि मिलती रही है। लेकिन गोद लिए गांव में एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ है और इस कारण उन्हें बुनियादी सुविधाओं से दो चार होना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने इस बार लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का फैसला लिया है। ग्रामीणों का आरोप है कि आदर्श गांव योजना के तहत मसरूर को विकसित करने के लिए प्रशासनिक अधिकारी तो आते रहे हैं लेकिन विकास के नाम पर एक भी ईंट नहीं लग पाई है।
मसरूर टैंपल है मुख्य पहचान
मसरूर टैंपल में रोजाना चार सौ से पांच सौ पर्यटक आते हैं, जबकि रविवार व छुट्टी वाले दिन यह संख्या बढ़कर दोगुनी हो जाती है। हर पर्यटक से 25 रुपये प्रवेश फीस ली जाती है और 10 से 12 हजार रुपये रोजाना की आमदनी होती है। मंदिर परिसर में शौचालय न होने से पर्यटकों विशेषकर महिलाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मंदिर परिसर में ठहरने की सुविधा न होने से पर्यटकों को करीब 50 किलोमीटर दूर धर्मशाला या 12 किमी नगरोटा सूरियां जाना पड़ता है। इस बारे में ग्रामीणों ने मंदिर प्रशासन व पुरातत्व विभाग को कई बार लिखा है लेकिन आजतक कार्रवाई नहीं की गई है।
ये हैं मुख्य चुनौतियां
-राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मसरूर का भवन जर्जर है, क्योंकि स्कूल मंदिर परिसर में है और मंदिर पुरातत्व विभाग के तहत है। यहां मरम्मत कार्य नहीं हो पाता है।
-प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मसरूर की हालत भी दयनीय है। केंद्र में स्टाफ का अभाव है।
-पेयजल की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।
-सड़कों की हालत खराब है। पदर, द्रमण, कपाहड़ी व घरियार के लोगों को मरीजों को चार से पांच किलोमीटर चारपाई पर उठाकर ले जाना पड़ता है।
एक नजर में पंचायत
सांसद के गोद लिए गांव मसरूर की कुल आबादी 1687 है। इसमें 809 महिलाएं और 878 पुरुष हैं। गांव की स्थिति ऐसी है कि यहां पर न तो उचित पेयजल की व्यवस्था है और न ही सड़क सुविधा। बड़ी बात तो यह है कि पंचायत के पास अपना भवन तक नहीं है। पंचायत को मंदिर की सराय में भवन दिया गया है।
मसरूर को विप्लव ठाकुर ने सांसद आदर्श गांव योजना के तहत 22 नवंबर, 2014 को गोद लिया था। इसके लिए जिलाधीश को पत्र लिखकर विकास की योजना का प्रारूप बनाने का आदेश दिया था लेकिन बजट न मिलने से सब फाइलों में ही धूल चाटते रह गए। विप्लव ठाकुर को पंचायत की ओर से हर साल स्मरण पत्र भी भेजे जाते रहे हैं। -विवेक चौधरी, प्रधान मसरूर पंचायत।
सांसद ने जब मसरूर को आदर्श गांव योजना में गोद लिया तो लगा कि गांव के अब दिन फिरने वाले हैं। धरातल पर पांच साल में कोई भी पैसा खर्च न होने से ग्रामीण खफा हैं, जबकि सांसद को हर साल छह करोड़ रुपये सांसद निधि के मिलते हैं। मसरूर में एक पैसा भी खर्च नहीं करना चिंता का विषय है। -सतीश चौधरी, समाजसेवी मसरूर।
राज्यसभा सदस्य ने जब गांव को गोद लिया था तो उस समय वादा किया था कि इसे विकसित कर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाया जाएगा। पांच साल में आकर्षण केंद्र बनना तो दूर पंचायत की गांव को सड़क भी उपलब्ध नहीं हो पाई है। -आशा देवी, निवासी मसरूर।
मसरूर को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए ही गोद लिया था। सांसद आदर्श गांव योजना पर अमल लाने के लिए अधिकारी ही सुस्त रहे। समस्या यह भी रही कि मोदी सरकार ने आदर्श गांव योजना तो चला दी, लेकिन विकास के लिए एक भी पैसा नहीं दिया। -विप्लव ठाकुर, राज्यसभा सांसद।
मसरूर के ग्रामीणों की मांगें जायज हैं। चुनाव आचार संहिता के कारण यहां के विकास कार्य रुके हैं। आचार संहिता हटते ही गांव का विकास प्राथमिकता पर किया जाएगा। ग्रामीणों की समस्याएं सुनी हैं और उनसे चुनाव का बहिष्कार न करने की अपील की है। -धनवीर ठाकुर, एसडीएम देहरा।