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हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर आज त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के लिए आएंगे धर्मशाला

केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग तथा संपर्क विभाग भारतीय शिक्षण मंडल के संयुक्त तत्वावधान में त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन होने जा रहा है संगोष्ठी का विषय “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2022 हिंदी एवं भारतीय भाषाओं के विकास के लिए एक वरदान” है।

By Richa RanaEdited By: Published: Fri, 23 Sep 2022 08:55 AM (IST)Updated: Fri, 23 Sep 2022 08:55 AM (IST)
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर आज त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के लिए आएंगे धर्मशाला
प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन होने जा रहा है।

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग तथा संपर्क विभाग भारतीय शिक्षण मंडल के संयुक्त तत्वावधान में त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन होने जा रहा है। कार्यक्रम का आयोजन 23, 24, 25 सितम्बर को होना है। संगोष्ठी का विषय “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2022: हिंदी एवं भारतीय भाषाओं के विकास के लिए एक वरदान” है। 23 सितंबर को प्रातः 10 बजे राजकीय महाविद्यालय, धर्मशाला के सभागार में आयोजित संगोष्ठी के उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर होंगे। वहीं मुख्य वक्ता के रूप में भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर सभा को संबोधित करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल करेंगे। संगोष्ठी के आयोजक समिति के सदस्य डा ओम प्रकाश प्रजापति ने बताया कि संगोष्ठी में देशभर से 200 से अधिक प्रतिभागी हिस्सा लेने जा रहे हैं। शुभारंभ अवसर पर राज्यपाल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2022 हिंदी भाषा और क्षेत्रीय भाषाओं के लिए वरदान कैसे सिद्ध होगी, इस पर अपनी बात रखेंगे।

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सीय कुलपति प्रो. एसपी बंसल ने बताया कि हमें भाषा के अध्ययन से अपनी खोई हुई विरासत को प्राप्त करना है। भारतीय भाषाएं हिंदी समेत संस्कृत जब बोलचाल की भाषा थी उस समय भारत विश्व गुरु था, यदि भारत को आत्मनिर्भर और वैभवशाली बनाना है तो उसका माध्यम संस्कृत भाषा ही हो सकती है। संस्कृत की खोई गरिमा को पुनः प्राप्त करना समय की आवश्यकता है। विश्व के अनेक स्थानों पर हम इसके लक्षण देख भी रहे हैं। भौतिक विज्ञान वैशेषिक दर्शन ही स्वरूप है। इस विशिष्ट भाषा का विशिष्टता से अध्ययन आवश्यक है। संस्कृत भाषा की अलौकिकता, शब्द सामर्थ्य, इसका विपुल शब्द भंडार हमें इस भाषा को अध्ययन करने के लिए प्रेरित करते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा-नीति 2020 में इसे विशेष स्थान प्रदान किया गया है।


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