रेलगाड़ी की तरह स्टेशन भी नहीं सुरक्षित
पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेलवे ट्रैक की रेलगाड़ी की तरह इसके रेलवे स्टेशन भी सुरक्षित नहीं हैं।
मुकेश मेहरा, पालमपुर। पठानकोट-जोगेंद्रनगर रेल ट्रैक की रेलगाड़ी की तरह रेलवे स्टेशन भी आग से सुरक्षित नहीं हैं। बैजनाथ और पालमपुर स्टेशनों के दौरे में यह खुलासा हुआ है। दोनों स्टेशन लकड़ी से बने हैं लेकिन यहां आग बुझाने के लिए सिर्फ पांच-पांच छोटी बाल्टियों में रेत व पानी है। इसके अलावा नाममात्र दो-दो अग्निशमन यंत्र लगाए गए हैं। इनमें से पालमपुर में एक अग्निशमन यंत्र एक्सपायरी डेट का है। ऐसे में रेलवे विभाग के कर्मचारियों और यात्रियों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लग रहे हैं।
एक सौ साठ किलोमीटर लंबे इस ट्रैक पर सबसे खूबसूरत रेलवे स्टेशन पालमपुर लकड़ी से बनाया है। यहां पर भी आग से निपटने के लिए व्यवस्था कुछ खास नहीं दिखी। केवल पांच छोटी बाल्टियों में चार में रेत और दो में पानी है। हालांकि साथ ही दो अग्निशमन यंत्र हैं। यही हाल पालमपुर रेलवे स्टेशन पर देखने को मिला। इस ट्रैक के मुख्य रेलवे स्टेशन लकड़ी से ही बने हैं तथा आग से संवेदनशील हैं। इसके बावजूद केवल पांच बाल्टियों और दो अग्निशमन यंत्रों से आग से लड़ना खतरे से खाली नहीं है।
हालांकि छोटी-मोटी आग की घटना को तो इससे कंट्रोल किया जा सकता है लेकिन लकड़ी से बने रेलवे स्टेशनों में आग के तेजी से भड़कने की संभावना भी अधिक होती है। ऐसे में यह सुरक्षा प्रबंध खासे पुख्ता नहीं दिखते हैं। जानकारों की भी मानें तो लकड़ी से बने इन ऐतिहासिक रेलवे स्टेशनों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम वर्तमान में नियमों के अनुसार होने चाहिए, लेकिन खतरे से अंजान रेलवे विभाग इस ओर कुछ खास करता नहीं दिख रहा है।
रेलवे स्टेशनों पर अग्निशमन यंत्र व अन्य व्यवस्था होती है। अगर अग्निशमन यंत्र एक्सपायर हो चुके हैं तो इन्हें बदलवाया जाएगा। साथ ही स्टेशनों में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए जाएंगे। विवेक कुमार, डीआरएम फिरोजपुर।