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आंखें नम, दिलों में गुस्सा, अब कौन आएगा वर्दी पहनकर घर

जेएनएन, धर्मशाला: हिमाचल की माटी में ही देशप्रेम की खुशबू है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Feb 2019 12:56 PM (IST)Updated: Sun, 17 Feb 2019 12:56 PM (IST)
आंखें नम, दिलों में गुस्सा, अब कौन आएगा वर्दी पहनकर घर

जेएनएन, धर्मशाला: हिमाचल की माटी में ही देशप्रेम की खुशबू है। यही वजह है कि जब भी देश के नाम पर शहादत की बात आए तो प्रदेश का नाम पहले होता है। जवाली विधानसभा क्षेत्र के तहत धेवा गांव से करीब पांच किलोमीटर दूर दुराना में सुबह करीब 9.15 बजे जैसे ही सीआरपीएफ का वाहन शहीद तिलक राज की पार्थिव देह लेकर गुजर रहा था तो हर कोई पहले तो सड़क पर आ गया और अपने-अपने वाहन लेकर ट्रक के पीछे काफिले में जुड़ता गया। देखते ही देखते ट्रक के पीछे छोटे बड़े 100 वाहन चल पड़े। संपर्क मार्ग पर वाहनों की लंबी कतार थी, लेकिन इसमें खास बात थी कि यह काफिला बिल्कुल शांत था। न फालतू का शोर और न ही हॉर्न की आवाज। जहां सीआरपीएफ का ट्रक धीरे हो जाता वहां वाकी वाहनों की स्पीड भी थम रही थी। कई किलोमीटर कच्चे-पक्के मार्ग से गुजरता हुआ काफिला बड़े ही शांत तरीके से धेवा गांव पहुंचा तो वहां तैनात पुलिस जवानों ने ट्रक को रोकने का स्थान बता दिया। पार्थिव देह जैसे ही घर पहुंची तो गांव विलाप में डूब गया। बड़ी मुश्किल से खुद को संभाले बैठे शहीद के पिता ने जैसे ही आंगन में ताबूत देखा तो सिर पर हाथ रखकर रोने लगे। गांव के कुछ लोगों ने उन्हें ढांढस बंधवाया तो पिता फिर से मन पक्का करने के लिए दूसरे घर की ओर चले गए। इस दौरान आंगन में रोती एक रिश्तेदार ने जैसे ही मंत्रियों और विधायकों को देखा तो बोल उठी, 'इतने साल से बेटे ने बड़े-बड़े काम किए तब तो यहां कोई नहीं पहुंचा, अब क्यों यहां आए हो।' इस बीच विधायक राकेश पठानिया ने सीआरपीएफ के अधिकारियों को गद्दी समुदाय की परंपराओं के बारे में बताया तो उन्होंने परिवार को दो घंटे के भीतर परंपराएं पूरी करने का समय दिया। करीब 10.30 बजे खाद्य आपूर्ति मंत्री किशन कपूर पहुंचे तो शहीद के पिता लायक राम, माता विमला देवी और चचेरी बहन अनु फूट-फूट कर रोई और आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही। 11 बजे सांसद शांता कुमार ने परिवार को ढांढस बंधवाया। करीब 12 बजे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा पहुंचे तो उस समय पत्नी सावित्री देवी गद्दी परिधान पहने 22 दिन के बेटे को गोद में लेकर शहीद पति के ताबूत के पास बैठकर आंसू बहा रही थी। उसे सीएम ने ढांढस बंधवाया। इसके बाद पार्थिव देह को रीति रिवाज के अनुरूप आंगन में रखा और अन्य रस्में पूरी कीं और बाद में सावित्री ने पति को अलविदा कहा। जैसे ही शहीद की पार्थिव देह को अंत्येष्टि स्थल के लिए ले जाने लगे तो सावित्री देवी और मां बेहोश हो गईं। घर से करीब दो-तीन किलोमीटर दूर अंत्येष्टि स्थल पर शहीद को अंतिम विदाई देने वालों की भीड़ थी। इस दौरान लोगों की आंखें नम थी और दिलों में गुस्सा था। जैसे ही सभी अंत्येष्टि स्थल पर लौटकर घर पहुंचे तो वर्दी वाले जवानों को देखकर परिवार के सदस्यों का दर्द और बढ़ गया। इस दौरान मां फिर से रोकर कहने लगी, 'अब कौन आएगा हमारे घर वर्दी पहनकर और कौन लौटेगा छुट्टियां काटकर। बेटे यह वर्दी हमेशा तेरी याद दिलाती रहेगी।

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