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पुलवामा शहीद तिलक राज: गरीबी ने छुड़वाई थी पढ़ाई पर कायम रही देशभक्‍ित की भावना, गानों में आज भी हैं जिंदा

Pulwama Martyr Tilak Raj सरहद पर रहकर मातृभूमि की रक्षा... ड्यूटी से समय मिले एवं छुट्टी लेकर घर पहुंचते थे तो लोकगीत गाते थे।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 08:39 AM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 05:01 PM (IST)
पुलवामा शहीद तिलक राज: गरीबी ने छुड़वाई थी पढ़ाई पर कायम रही देशभक्‍ित की भावना, गानों में आज भी हैं जिंदा
पुलवामा शहीद तिलक राज: गरीबी ने छुड़वाई थी पढ़ाई पर कायम रही देशभक्‍ित की भावना, गानों में आज भी हैं जिंदा

धर्मशाला, मुनीष गारिया। सरहद पर रहकर मातृभूमि की रक्षा... ड्यूटी से समय मिले एवं छुट्टी लेकर घर पहुंचते थे तो लोकगीत गाते थे। ...अगर 10 या 15 दिन से अधिक की छुट्टी मिले तो क्षेत्र के युवाओं को बुलाकर कबड्डी प्रतियोगिता के आयोजन की आदत सी हो गई थी। यहां बात हो रही है पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए उपमंडल जवाली के धेवा गांव के निवासी तिलक राज उर्फ सानू की। उन्हें शहीद हुए एक साल बीत गया है, लेकिन उनके गाए पहाड़ी गाने आज भी हर कोई सुनकर उन्हें श्रद्धांजलि देता है। शहीद तिलक राज बचपन से ही गाने के अलावा और भी शौक रखते थे।

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16 फरवरी 2019 को पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए तिलक राज की पत्‍नी को सांत्‍वना देने जवाली के धेवा गांव पहुंचे मुख्‍यमंत्री जयराम ठाकुर और तत्‍कालीन स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री जेपी नड्डा शहीद की पत्नी सावित्री से बात करते हुए।

घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण तिलक राज ने 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी और फोटोग्राफी का काम शुरू कर दिया था। ताया और चाचा के बेटे एवं उनके लगभग सभी भाई सेना में तैनात हैं तो देशभक्ति स्वभाविक ही थी। तिलक राज 2007 में केंद्रीय रिजर्व सुरक्षा बल (सीपीआरएफ) में भर्ती हुए थे। तिलक राजमाता-पिता के अलावा पत्नी सावित्री देवी और 22 दिन का बेटा विवान छोड़ गए थे।

16 फरवरी 2019 को जिला कांगड़ा के जवाली के धेवा में पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए तिलक राज की पार्थिव देह को अंतिम संस्कार के लिए ले जाते हुए सीआरपीएफ जवान और ग्रामीण।

शहीद का जीवन परिचय

तिलक राज का जन्म 2 मई, 1988 को हुआ था। पिता लायक राज मजदूरी करते हैं और माता विमला देवी गृहिणी हैं। प्रारंभिक शिक्षा राजकीय प्राथमिक पाठशाला धेवा में हुई। स्कूल घर से डेढ़ किमी दूर था और वह हर रोज पैदल ही स्कूल जाते थे।  आगे की पढ़ाई के लिए  छह किलोमीटर दूर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला परगोड़ा  से की थी। तिलक राज शुरू से पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद में भी शौक रखते थे। गरीबी के कारण 10वीं के बाद तिलक राज पढ़ाई नहीं कर सके थे। इसके बाद जवाली में तीन साल फोटोग्राफी का काम सीखा और फिर दुकान खोली थी। घर से 10 किमी दूर हार गांव में दुकान चलाई थी। तिलक राज ने  कबड्डी में राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया था।

लोकगायक भी थे

तिलक राज कबड्डी खिलाड़ी ही नहीं बल्कि लोकगायक भी थे। उन्होंने सिड्डू शराबी, नीलमा गद्दण व मेरी मोनिका जैसे हिट गाने गाए थे। यू-ट्यूब पर हजारों लोगों ने इन गानों को सुना है। छुट्टी आने के बाद घर में घरेलू कबड्डी प्रतियोगिता में हारचक्कियां टीम की ओर से खेलते थे।

ये थे अंतिम शब्द

13 फरवरी, 2019 की शाम करीब छह बजे तिलक राज ने पत्नी सवित्री देवी से फोन पर बात की थी। फोन पर बताया था कि छुट्टी आकर वह गाना रिकॉर्ड करवाकर रिलीज करेंगे।

पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए तिलक राज को जवाली के धेवा गांव में अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ी भीड़ का फाइल फोटो।

हजारों ने नम आंखों से दी थी अंतिम विदाई

शहीद की पार्थिव देह पैतृक गांव पहुंचते ही जनसैलाब उमड़ आया था। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, मंत्रिमंडल सदस्यों, विधायकों  व हजारों लोगों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी थी।

पुण्‍यतिथि पर नहीं होगा श्रद्धांजलि कार्यक्रम

  • शहीद की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम के आदेश अभी तक नहीं मिले हैं। सरकार से आदेश मिलते ही कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। -राकेश प्रजापति, उपायुक्त कांगड़ा।
  • सरकार की ओर से इस साल कोई भी श्रद्धांजलि कार्यक्रम इसलिए नहीं करवाया जा रहा है क्योंकि शहीद के स्वजनोंं द्वारा विक्रमी संवत के हिसाब से पुण्यतिथि एवं श्राद्ध करवा दिया है। शहीद के स्वजनों से आग्रह है कि अगले साल से वे पुण्यतिथि विक्रमी संवत के हिसाब से नहीं, बल्कि 14 फरवरी को आयोजित करें। -अर्जुन ठाकुर, विधायक, जवाली

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