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कोरोनाकाल के बाद पटरी पर आया प्रिंस ट्रांसपोर्ट का कारोबार, बसों में यात्रियों की सुरक्षा का‍ रखा जा रहा विशेष ख्‍याल

ऊना जिला मुख्यालय से लगभग हर क्षेत्र को बस सेवा उपलब्ध कराने वाले प्रिंस ट्रांसपोर्ट कंपनी का कारोबार पूरी तरह से पटरी पर आने लगा है। कोरोना काल के बाद प्रिंस ट्रांसपोर्ट कंपनी के मालिक पवन ठाकुर अब पूरी सतर्कता के साथ बसों का संचालन करने लगे हैं।

By Richa RanaEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 12:30 AM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 07:11 AM (IST)
कोरोनाकाल के बाद पटरी पर आया प्रिंस ट्रांसपोर्ट का कारोबार, बसों में यात्रियों की सुरक्षा का‍ रखा जा रहा विशेष ख्‍याल
कोरोना काल के बाद प्रिंस ट्रांसपोर्ट कंपनी के मालिक पवन ठाकुर सतर्कता के साथ बसों का संचालन कर रहे हैं।

ऊना, जेएनएन। ऊना जिला मुख्यालय से लगभग हर क्षेत्र को बस सेवा उपलब्ध कराने वाले प्रिंस ट्रांसपोर्ट कंपनी का कारोबार पूरी तरह से पटरी पर आने लगा है। कोरोना काल के बाद प्रिंस ट्रांसपोर्ट कंपनी के मालिक पवन ठाकुर पूरी सतर्कता के साथ बसों का संचालन करने लगे हैं। सजगता भी है और यात्रियों की सुरक्षा का भी पूरा इंतजाम किया जा रहा है। बसों में चालकों और परिचालकों को कोविड नियमों का पालन करने के सख्त

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निर्देश दिए गए हैं।

कैसे लौट रहा कारोबार पटरी पर

प्रिंस ट्रांसपोर्ट कंपनी की ओर से यात्री बसों के लिए सरकार की ओर से बनाई गई पूरी एसओपी का पालन किया जा रहा है। लॉकडाउन के बाद परिवहन सेवाओं को पचास फीसदी यात्रियों के साथ सड़क पर उतारा गया था। ऐसे में कई रूट जो हिमाचल के भीतर ही चलाए जा रहे थे। इसमें ऊना से दौलतपुर के अलावा ऊना से भरवाईं रूट प्रमुख थे इसमें कंपनी की बसें चलाई गईं थीं। इन रूटों में भले ही कोई अधिक आमदनी नहीं थी, लेकिन उन्होंने जिस तरह से लोगों की समस्या को देखते हुए बुरे वक्त में भी बसों का संचालन बंद नहीं किया। हालांकि कुछ ट्रांसपोर्ट कंपनियों की ओर से अनलॉक होते ही बसों को रूटों पर तो भेजा गया था, लेकिन यात्रियों की कमी के कारण रूट बंद कर दिए गए थे। प्रिंस ट्रांसपोर्ट कंपनी के कुशल प्रबंधकों ने क्षेत्र के लोगों की सुविधा के लिए शुरु में तीन रूटों से अब कुल बीस में से पंद्रह रूटों पर बसें दौड़ रही हैं।

बसों में कैसी है व्यवस्था

प्रिंस ट्रांसपोर्ट कंपनी की बसों में यात्रियों की सुविधा के लिए हैंड सैनिटाइजर का इंतजाम किया गया है। परिचालक के पास हैंड सैनिटाइजर के अलावा मास्क भी उपलब्ध हैं। यह मास्क लागत शुल्क पर भी दिए जा सकते हैं। बसों में प्रवेश से पूर्व यात्री के शरीर का तापमान भी देखा जाता है। इसके अलावा मास्क का इस्तेमाल जरूरी किया गया है। दस वर्ष से कम आयु व 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के बैठने की अलग से व्यवस्था की गई है।संभावित लक्षण वाले के शरीर का तापमान भी देखा जा रहा है।

प्रिंस ट्रांसपोर्ट की पंजाब तक भी पहुंच

प्रिंस ट्रांसपोर्ट कंपनी की पंजाब के तलवाड़ा और पठानकोट तक भी रूट चलते हैं। इसमें फिलहाल तलवाड़ा तक बस रूट भेजा जा रहा है। पंजाब की ओर जाने वाले रूटों पर चालक और परिचालक को एसओपी के नियमों की कड़ाई से पालना सुनिश्चित कराई जा रही है। आने वाले यात्रियों और बस के भीतर व्यवस्था के तहत ही यात्रियों को बिठाया जा रहा है। इसमें महिलाओं के अलावा परिवार व बुजुर्ग के लिए अलग-अलग स्थान आरक्षित किए गए हैं। ऐसी व्यवस्था की गई है जिससे कोरोना संक्रमण एक से दूसरे में फैसले का कोई भय न हो।

शादी समारोहों के लिए इंतजाम

प्रिंस ट्रांसपोर्ट कंपनी के पास शादी और पार्टियों के लिए भी बसों का विशेष इंतजाम है। चौदह बसों के बेडे़ में चार डीलक्स और चार सेमी डीलक्स बसें उपलब्ध हैं। किसी भी शादी के लिए तथा पार्टियों व टूर प्रोग्राम के लिए बस सेवा उपलब्ध रहती है। इन बसों में अब शादी के सीजन में कोरोना से बचाव को लेकर दिशा निर्देश लिखे गए हैं और सैनिटाइजर व मास्क का भी इनमें प्रावधान है। चालक और परिचालक के लिए पहली सीटेंबस के शुरू में ही चालक और परिचालक के लिए अन्य यात्रियों के अलावा पारदर्शी शीट के साथ अलग कैबिन बनाए गए हैं। इससे चालक और परिचालक अधिक देर तक यात्रियों के संपर्क में नहीं आ सकें। इस कंपनी की ओर से जिला मुख्यालय में अपनी बसों की रोजाना सैनिटाइजेशन की व्यवस्था भी की गई है। रूट पूरा होते ही यह एक से दूसरे रूट पर चलती हैं।

कोरोना के दौरान सरकार ने बसों को चलाने के लिए किराया बढ़ाया। उसे सरकार को बिना किसी विलंब से वापस लेना चाहिए। क्योंकि अधिक किराया होने के कारण बसों में सवारियां कम बैठ रही हैं।जिससे बसें चलाने में खर्चा अधिक आ रहा है। आमदनी तो पता कब होगी। हालांकि कोरोना काल के दौरान प्राइवेट बस मालिकों को आर्थिक संकट से उभारने के लिए कोई विशेष सरकार की तरफ से जारी नहीं किया गया। इसके साथ ही सरकार को प्राइवेट बसों को चलाने के लिए कोरोना काल में बसें खड़ी रखने के कारण इंशोयरेंस का भी लाखों रुपये का

नुकसान हुआ है। इन सब की भरपाई के लिए सरकार बसों का 31 मार्च 2021 तक एकमुश्त टैक्स माफ करें।

जैसे ही पूरे देश में अनलॉक हुआ। उसके बावजूद भी ट्रांसपोर्ट पूरी पटरी पर नहीं आ रहा।

आलम यह हो चुका है कि अब तो चालक-परिचालक भी काम छोड़चुके हैं। इनमें से कई चालक व परिचालक बसों को चलाने की बजाए अब अपना छोटा-मोटा निजी धंधा करने लग गए हैं। क्योंकि लॉकडाऊन होने के कारण जो चालक परिचालकों को कुछ समय के लिए विना कामकाज के भी वेतन दिया गया। पवन ठाकुर ने कहा कि उनके पास मौजूदा समय में 14 बसें है। लेकिन इनमें अब 20 रुटों पर बसें चलाई जा रही है। सरकार द्वारा कोविड को लेकर निर्धारित किए गए नियमों का पालन कराने के लिए इंतजाम किए गए हैं।


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