जानिए कैसे, चीन की तकनीक से स्वच्छ रहेगी पहाड़ की हवा; पढ़ें पूरी खबर
चीन की कंपनी हिमाचल के पहाड़ों की हवा को दूषित होने से बचाएगी। ऐसा इलेक्ट्रिक बसों की खरीद से संभव होगा।
शिमला, रमेश सिंगटा। चीन की कंपनी हिमाचल के पहाड़ों की हवा को दूषित होने से बचाएगी। ऐसा इलेक्ट्रिक बसों की खरीद से संभव होगा। अत्याधुनिक तकनीक चीन की कंपनी फुटॉन की होगी, जबकि नाम भारतीय कंपनी पीएमआइ का होगा। ये मुद्रिका बसों जैसी छोटी होंगी। हिमाचल पथ परिवहन निगम ने 20 नई इलेक्ट्रिक बसों की खरीद की प्रक्रिया पूरी कर ली है। 31 अक्टूबर से पहले सभी बसें आ जाएंगी। पहले शिमला के लिए 30 बसों की खरीद हुई है। एक बस की कीमत करीब 76 लाख है।
सालाना मरम्मत का खर्च (एएमसी) इसी में शामिल है। 180 किलोवाट की बैटरी आधे घंटे में चार्ज होती है, जबकि 60 किलोवाट की 90 मिनट में। एक बार चार्ज हो गई तो 150 किलोमीटर तक चल सकती है। इससे ईंधन का खर्च बचेगा और पर्यावरण भी दूषित नहीं होगा। मरम्मत करने वाले कंपनी के इंजीनियर होंगे। कजपुर्जों की वारंटी छह साल की, मैकेनिकल की तीन साल की वारंटी होगी।
100 बसों की मिली और स्वीकृति
हिमाचल को 100 और इलेक्ट्रिक बसों की खरीद की केंद्र ने स्वीकृति दी है। देश के लिए 5960 बसों की स्वीकृति मिली है। हालांकि इन पर सबसिडी पहले वाली से कम रहेगी। अभी पूरी तरह से तस्वीर साफ नहीं है। लेकिन अभी तक कुल 50 बसों के लिए केंद्र ने 60 फीसद और राज्य ने 40 फीसद खर्च किया है। इनके लिए दो कलक्स्टर बनेंगे। पहला कलस्टर शिमला-सोलन-नाहन- नालागढ़ और दूसरा हमीरपुर- मंडी-बिलासपुर-ऊना होगा। धर्मशाला स्मार्ट सिटी के लिए 35 इलेक्ट्रिक बसों की अभी तक खरीद नहीं हो पाई है।
कितना है बेड़ा
अभी प्रदेश में ईंधन से चलने वाली बसों का बेड़ा करीब तीन हजार है। इतनी ही बसें निजी हैं। इनके माध्यम से लोगों को परिवहन सेवाएं दी जा रही हैं।
50 बसों की खरीद में बचाए 60 करोड़
50 बसों की खरीद में सरकार ने 60 करोड़ से अधिक की बचत की है। पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में मनाली के लिए 25 बसें खरीदी गई थीं। एक इलेक्ट्रिक बस 1 करोड़ 91 लाख की पड़ी थी। मरम्मत का खर्च अलग से रहा। ऐसे में यह दो करोड़ से अधिक की खरीदी गई, जबकि मौजूदा सरकार ने यही बस 76 लाख में खरीदी है।
20 और बसों की खरीद हो रही है। कुछ दिन में ये शिमला पहुंच जाएंगी। इलेक्ट्रिक बसों से शिमला का पर्यावरण भी बचेगा और ईंधन, मरम्मत पर होने वाला खर्च भी। 100 नई बसों को खरीदने की भी स्वीकृति मिल गई है। -एचके गुप्ता, मुख्य महाप्रबंधक एचआरटीसी।