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पोलन ने प्रदूषित की पहाड़ों की हवा, बीमारियों की चपेट में आ रहे लोग; पढ़ें पूरी खबर

राजधानी शिमला में देवदार के पेड़ों से निकल रहा पोलन हवा में घुलकर लोगों के साथ परेशानी बढ़ा रहा है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Tue, 22 Oct 2019 04:30 PM (IST)Updated: Wed, 23 Oct 2019 08:23 AM (IST)
पोलन ने प्रदूषित की पहाड़ों की हवा, बीमारियों की चपेट में आ रहे लोग; पढ़ें पूरी खबर
पोलन ने प्रदूषित की पहाड़ों की हवा, बीमारियों की चपेट में आ रहे लोग; पढ़ें पूरी खबर

शिमला, जेएनएन। राजधानी शिमला में देवदार के पेड़ों से निकल रहा पोलन हवा में घुलकर लोगों के साथ परेशानी बढ़ा रहा है। इससे यहां पर अस्थमा से पीडि़त पर्यटकों व लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। शहर के जिन स्थानों पर देवदार के पेड़ हैं वहां पर समस्या अधिक है। पंथाघाटी, विकासनगर, बीसीएस, छोटा शिमला, जाखू, आइजीएमसी, टॉलेंड, कनलोग ढली, भराड़ी समेत आसपास के इलाकों में देवदार के पेड़ ज्यादा हैं। इससे यहां पर इसके प्रभावितों की संख्या ज्यादा है। रिपन अस्पताल में रोजाना 25 तो आइजीएमसी में करीब 15 मरीज पोलन से पीडि़त आ रहे हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों का मानना है कि अच्छी बारिश होने के बाद जब पोलन खत्म होगा, इसके बाद ही राहत मिल सकेगी।

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ये बरतें एहतियात

आइजीएमसी में चेस्ट एंड टीबी पल्मोनेरी विभागाध्यक्ष डॉ. मलय सरकार का कहना है कि पोलन को गिरने से रोका तो नहीं जा सकता, पर इससे बचा जरूर जा सकता है। पोलन गिरने से सांस संबंधी मरीजों को अधिक एहतियात बरतने की जरूरत रहती है। अस्थमा वाले मरीज बिना मास्क पहनें घर से बाहर न निकलें। अधिक समस्या होने पर अस्पताल आकर जांच जरूर करवाएं। मुंह को ढककर चलें। जिन लोगों को स्किन एलर्जी है, वे तेल जरूर लगाएं, नहीं तो इंचिंग की समस्या आ सकती है।

पोलन देवदार से गिरना प्राकृतिक : डॉ. ललित

पूर्व प्रधान मुख्य अरण्यपाल (पीसीसीएफ) डॉ. ललित मोहन का कहना है कि देवदार के पेड़ों से पोलन गिरना प्राकृतिक है। सितंबर और अक्टूबर के महीने में ये ज्यादा रहता है। मूल रूप से पोलन से ही देवदार का सीड बनता है। इसके बगैर देवदार के नए पौधे जंगलों में लगना संभव नहीं हैं। पोलन हवा के साथ उड़ता है। इससे नाक, गले और आंखों को नुकसान पहुंचता है। जहां देवदार के पेड़़ होते हैं, वहां पर सीजन में इसका गिरना तय है।

देवदार के जंगल में सैर से बचें

ज्यादा उम्र वाले लोगों को भी इस सीजन में अधिक एहतियात बरतने की जरूरत है। पोलन गिरने वाले इलाकों में सैर करने से परहेज करना चाहिए। जिनकी सांस सैर करते समय अधिक फूलती है वे कुछ दिन सैर से परहेज करें। अगर इस दौरान कोई इन्हेलर का इस्तेमाल स्वयं करता है तो इलाज के दौरान पहले डॉक्टरों से परामर्श लें। अस्थमा सांस से जुड़ी बीमारी है। इससे सांस की नली में सूजन आ जाती है। इससे फेफड़ों में दबाव महसूस होने के साथ खांसी के साथ सीने में जकडऩ की समस्या भी पैदा होती है।

क्या होता है पोलन

बरसात का मौसम खत्म होते ही शिमला में सूखापन बढ़ गया है। इससे देवदार के पेड़ों से पोलन झडऩा शुरू हो गया है। पोलन देवदार के पेड़ों से गिरने वाला पीला बुरादा होता है। इससे सांस, आंख और त्वचा संबंधी एलर्जी हो रही है। पोलन हवा में घुलकर कान, नाक और मुंह के रास्ते फेफड़ों में चला जाता है। पोलन सांस संबंधी बीमारी को बढ़ा रहा है।


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