पीजीआई में भी नहीं दिखी टांडा में छीनी रोशनी
टांडा अस्पताल में असफल हुए आंखों के आपरेशन को लेकर पीजीआइ के चिकित्सकों ने कह दिया है कि आंख की रोशनी नहीं लौटेगी। आंख में संक्रमण दूर नहीं हुआ तो आंख भी निकालनी पड़ सकती है।
कांगड़ा [नीरज व्यास] : 'मेरे ससुर को अब भी कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है। पीजीआइ के चिकित्सकों ने कह दिया है कि आख की रोशनी नहीं लौटेगी। चिकित्सकों ने यह भी बताया कि आंख में पड़ी पस व संक्रमण दूर नहीं हुआ तो रोशनी तो दूर, आंख भी निकालनी पड़ सकती है। इससे आंख के स्थान पर गड्ढा बन जाएगा। अब इलाज इस बात का है कि आंख न निकालनी पड़े..'यह कहना है ललित शर्मा का जो कांगड़ा जिले के लब जवाली निवासी सजीवन लाल (65) के दामाद है।
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दैनिक जागरण के साथ फोन पर बातचीत में उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार व टांडा मेडिकल कॉलेज से पैसा नहीं, आंख के बदले आंख चाहिए। दुख इस बात का है कि अभी तक टांडा मेडिकल कॉलेज अस्पताल से किसी ने कोई संपर्क ही नहीं किया है। बकौल ललित, डाडासीबा जसवां निवासी गीता देवी (62) को तो पीजीआइ पहुंचते ही चिकित्सको ने कह दिया था कि वह कभी नहीं देख पाएगी। लेकिन चिकित्सक यही प्रयास कर रहे है कि आंखों में संक्रमण रुके और आंखे न निकालनी पड़े।
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यह है मामला
- 14 दिसंबर : पांच मरीजों ने टांडा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आंखो का ऑपरेशन करवाया
-15 दिसबर : चार मरीजों को छुट्टी दे दी गई
-16 दिसंबर : एक मरीज की आंख में संक्रमण पाया गया। सभी मरीजों को वापस अस्पताल बुलाया गया। -सभी की आंखो में संक्रमण था, इन्हें बेहतर उपचार के लिए टांडा से पीजीआइ रैफर किया गया
-इनमें से तीन मरीज रोटरी आइ हास्पिटल मारंडा (पालमपुर) तथा दो मरीज पीजीआइ में उपचाराधीन है।
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मारंडा में एक मरीज मे हुआ आंशिक सुधार
पालमपुर : मेलामल रोटरी आइ अस्पताल मारंडा में उपचारधीन तीन मरीजों में से एक ही हालत में आंशिक सुधार हुआ है। वीरवार को रुटीन चेकअप के दौरान चिकित्सकों ने खैराती लाल निवासी जवाली में 40 फीसद सुधार की बात कहीं है, जबकि ईशा कुमारी निवासी बोखण और त्रिलोक चंद निवासी उपरली कोठियां की हालत स्थिर है। इन तीन मरीजों को डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा में ऑपरेशन के बाद आंखो में संक्रमण हो गया था और अब इनकी आंखो की रोशनी चली गई है। मारंडा आइ अस्पताल में उपचाराधीन एक मरीज की हालत में चालीस फीसद सुधार हुआ है।