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ओबीसी संगठन ने उच्च शिक्षण संस्थानों में 27 फीसदी आरक्षण को लेकर न्यायालय में याचिका की दायर

ओबीसी संगठन ने उच्च शिक्षण संस्थानों में केंद्रीय तर्ज पर 27 फीसदी आरक्षण प्रदेश में न मिलने पर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। ओबीसी संगठन ने कांगड़ा के सीनियर सिविल जज की अदालत में याचिका दायर की है जिसकी अभी सुनवाई होनी बाकी है।

By Richa RanaEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 12:40 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 12:40 PM (IST)
ओबीसी संगठन  ने उच्च शिक्षण संस्थानों में 27 फीसदी आरक्षण को लेकर न्यायालय में याचिका की दायर
उच्च शिक्षण संस्थानों में केंद्रीय तर्ज पर 27 फीसदी आरक्षण प्रदेश में न मिलने पर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

धर्मशाला, जेएनएन। ओबीसी संगठन ने उच्च शिक्षण संस्थानों में केंद्रीय तर्ज पर 27 फीसदी आरक्षण प्रदेश में न मिलने पर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। ओबीसी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राम लाल चौधरी, सुरेश चंद व प्रभात चौधरी ने संयुक्त रूप से प्रार्थी बनकर कांगड़ा सीनियर सिविल जज की अदालत में याचिका दायर की है। जिसकी अभी सुनवाई होनी बाकी है।

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इसकी तिथि अभी तक सुनिश्चित नहीं हुई है। सिविल सूट कांगड़ा न्यायालय में मामला दायर किया है। जिसमें उच्च शिक्षण संस्थानों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण जल्द दिए जाने की पैरवी की गई है। ओबीसी प्रवक्ता विक्रम चौधरी ने बताया कि शिक्षण संस्थानों में एजुकेशन इंस्टीट्यूट (दाखिले में आरक्षण) अधिनियम 2006 के तहत अारक्षण को लेकर यह याचिका दायर की गई है।

केंद्र के उच्च शिक्षण संस्थानों में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है, लेकिन प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों जो कि यूजीसी द्वारा अनुदानित हैं उसमें 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जा रहा है। यूजीसी को भी पार्टी बनाया है कि क्या देय आरक्षण दिया जा रहा है या नहीं। ग्रांट रिलीज के वक्त यह सुनिश्चित किया जाता है कि 27 फीसदी आरक्षण संबंधित संस्थान दे रहे हैं या नहीं। धारा तीन के (3) तहत निर्धारित सीटों में 27 प्रतिशत आरक्षण है वह अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रार्थियों को दिया जाना चाहिए।

हिमाचल प्रदेश के केंद्र अनुदानित मेडिकल कॉलेज व अन्य उच्च शिक्षण संस्थान 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं दे रहे हैं। यह केंद्र सरकार व अधिनियम की पूरी तरह से अवहेलना कर रहे हैं। तो ऐसे में क्यों न उनका अनुदान रोका जाए। अभी तक मेडिकल कॉलेज में दो प्रतिशत सीटें, बीडीएस कालेज में दो प्रतिशत सीटे हीं  ओबीसी को दी जा रही हैं, जबकि यह 27 फीसदी होनी चाहिए। यह सीधे तौर पर अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के हकों व अधिनियम की अनदेखी है। प्रवक्ता विक्रम चौधरी ने बताया कि न्यायालय के माध्यम से अोबीसी ने न्याय की गुहार लगाई है। केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज, चौधरी सरवण कुमार कषि विवि व बागवानी विश्वविद्यालय सहित अन्य उच्च शिक्षण संस्थान पर प्रदेश सरकार मुख्य सचिव सहित अन्य विभागों को इस मामले में पार्टी बनाया गया है।


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