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पंचायत चुनाव: नेताओं के दरबार में गोट‍ियां फ‍िट करने में जुटे चुनाव लड़ने के इच्‍छुक, बैठकों का दौर शुरू

Himachal Panchayat Election हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज और शहरी निकाय चुनाव लड़ने के लिए इच्चुक लोगों ने अपनी गोटियां फिट करने के लिए राजनेताओं के आगे पीछे घूमना भी शुरू कर दिया है। लोग सुबह शाम नमस्ते और राम-राम जी बोलना शुरू हो गए हैं

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 09:38 AM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 09:38 AM (IST)
पंचायत चुनाव: नेताओं के दरबार में गोट‍ियां फ‍िट करने में जुटे चुनाव लड़ने के इच्‍छुक, बैठकों का दौर शुरू
चुनाव लड़ने के लिए इच्चुक लोगों ने नेताओं के आगे पीछे घूमना भी शुरू कर दिया है।

ज्वालामुखी, जेएनएन। हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज और शहरी निकाय चुनाव लड़ने के लिए इच्चुक लोगों ने अपनी गोटियां फिट करने के लिए राजनेताओं के आगे पीछे घूमना भी शुरू कर दिया है। लोग सुबह शाम नमस्ते और राम-राम जी बोलना शुरू हो गए हैं और जहां से चुनाव लड़ना है वहां की जनता जनार्दन से हंसते हुए मुस्कुराते हुए राम सलाम भी शुरू हो गई है। राजनेताओं के घरों पर चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों के मेले लगने शुरू हो गए हैं। राजनेताओं के लिए सबसे बड़ी माथापच्ची यही है कि उनके समर्थक आपस में एक ही जगह से लड़ने के लिए एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते दिख रहे हैं। आपसी लड़ाई का फायदा विरोधी लोगों को होगा, ऐसा कहने पर भी लोग नहीं मान रहे हैं।

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यही स्थिति ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र की है यहां पर भाजपा के नेता रमेश धवाला के घर चुाव लड़ने के इच्छुक पहुंच रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के नेता संजय रतन के घर पर भी सुबह शाम बैठकों का दौर चल रहा है। मजेदार बात यह है कि अब पंचायतों और शहरी निकाय क्षेत्रों में करोड़ों रुपये के फंड सीधे विकास कार्यों के लिए सरकार से आ रहे हैं और इसमें सरकार का कोई दखल नहीं है। ऐसे में हर कोई चाहता है कि वह इन चुनावों में हिस्सा लेकर जनप्रतिनिधि बन जाएं, ताकि जनता सहित अपना भी विकास कर सकें।

एक अनार सौ बीमार

यहां एक अनार सौ बीमार वाली कहावत हर जगह चरितार्थ हो रही है। राजनेताओं के समक्ष उनके समर्थक एक-एक सीट के लिए लड़ रहे हैं और एक-दूसरे को नीचा और खुद को अव्‍वल दिखाने के लिए कई झूठे आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। राजनेता भी पशोपेश में फंस गए हैं, किसको किसे हां कहें किसे ना कहें।

वर्चस्व के लिए बिछाई जा रही बिसात

पंचायतों और शहरी निकाय में अपना वर्चस्व कायम करना भी बहुत जरूरी है, ताकि अगले विधानसभा चुनाव में चुनावी बिसात बिछाई जा सके। ले‍किन समर्थकों की लड़ाई राजनेताओं के गले की फांस बन गई है, जो हारेगा वो गले पड़ेगा।


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