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अफीम नशामुमुक्‍त‍ि में उपयोगी दवा से नियंत्रित होगी टाइप-2 डायबिटीज, आइअाइटी शोधार्थियों ने किया शोध

Type 2 Diabetes डायबिटीज की समस्या से जूझ रहे करोड़ों मरीजों को अब बड़ी राहत मिलेगी। टाइप-2 डायबिटीज अब अफीम नशामुक्ति में उपयोगी नाल्ट्रेक्सोन दवा से नियंत्रित होगी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के शोधकर्ताओं ने उस प्रक्रिया का राजफाश किया है

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Mon, 02 Nov 2020 02:10 PM (IST)Updated: Mon, 02 Nov 2020 02:14 PM (IST)
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के शोधकर्ता।

मंडी, हंसराज सैनी। डायबिटीज की समस्या से जूझ रहे करोड़ों मरीजों को अब बड़ी राहत मिलेगी। टाइप-2 डायबिटीज अब अफीम नशामुक्ति में उपयोगी नाल्ट्रेक्सोन दवा से नियंत्रित होगी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के शोधकर्ताओं ने उस प्रक्रिया का राजफाश किया है, जिससे शरीर में इंसुलिन की अधिकता से इंसुलिन प्रतिरोध पैदा होता है और इसमें अफीम नशामुक्ति में उपयोगी दवा से इस प्रक्रिया में सुधार करना मुमकिन है।

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एसइआरबी ने आइआइटी मंडी को सौंपा था शोध कार्य

विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसइआरबी) ने इस पर शोध करने के लिए आइआइटी मंडी को एक प्रोजेक्ट सौंपा था। स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज के एसोसियट प्रो. डॉ. प्रोसनजीत माेंडल की अगुआई में सह परीक्षण शोध विद्वान अभिनव चौबे, ख्याति गिरीधर, सीएसआइआर लखनऊ के डॉ. देवव्रतघोष, आदित्य, शैव्य कुशवाहा व एसआरएम विश्वविद्यालय दिल्ली, एनसीआर सोनीपत के डॉ. मनोज कुमार यादव ने इस कार्य को संभव कर दिखाया है।

क्या है इंसुलिन

इंसुलिन पैंक्रियाज में बनने वाला हार्मोन है। इसका इस्तेमाल कोशिकाएं खून से ग्लूकोज ग्रहण करने में करती हैं। कई कारणाें से कोशिकाएं इंसुलिन इस्तेमाल करने की क्षमता खो देती हैं तो टाइप 2 डायबिटीज (मधुमेह)  होता है। इंसुलिन प्रतिरोध का संबंध हाइपरइनसुलिनेमिया नामक समस्या से है। इसमें रक्तप्रवाह में जरूरत से ज्यादा इंसुलिन बना रहता है। इंसुलिन प्रतिरोध व हाइपरइनसुलिनेमिया के बीच चक्रीय संबंध है। दोनाें एक-दूसरे को बढ़ाता है। हालांकि इंसुलिन प्रतिरोध से हाइपरइनसुलिनेमिया का होना तो स्पष्ट है अर्थात जब कोशिकाएं इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पाती हैं तो यह खून में मौजूद रह जाता है पर अब तक यह स्पष्ट नहीं था कि हाइपरइनसुलिनेमिया से इंसुलिन प्रतिरोध कैसे बढ़ता है। इंसुलिन प्रतिरोध का एक कारण सूजन है। हाइपरइनसुलिनेमिया से शरीर में सूजन कैसे पैदा होती है। शोधार्थी इस बात का पता लगाने में सफल रहे हैं।

हाइपरइनसुलिनिमिया में दबे एक महत्वपूर्ण प्रोटीन अणु एसआइआरटी एक की पहचान

शोधकर्ताओं ने हाइपरइनसुलिनिमिया में दबे एक महत्वपूर्ण प्रोटीन अणु एसआइआरटी एक की पहचान की है।  एसआइआरटी एक में कमी से एनएफकेबी नामक एक अन्य प्रोटीन सक्रिय होता है जो सूजन को बढ़ाता है। इस तरह हाइपरइनसुलिनेमिया व सिस्टेमिक सूजन के बीच संबंध सामने आया है।

नाल्ट्रेक्सोन की हल्की खुराक ही काफी

नाल्ट्रेक्सोन (एलडीएन) की कम खुराक देकर एसआइआरटी एक सक्रिय किया जा सकता है। इससे सूजन कम होगी। कोशिकओं की इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ेगी।

नाल्ट्रेक्सोन एफडीए से मंजूर दवा

नाल्ट्रेक्सोन पहले से एफडीए से मंजूर दवा है। अब इसका उपयोग एक अन्य उद्देश्य . शरीर में सूजन व डायबिटीज़ की रोकथाम के लिए किया जा सकता है।

क्या कहते हैं डॉ. प्रोसनजीत माेंडल

शोध विद्धान डॉ. प्रोसनजीत माेंडल का कहना है भारत दुनिया का डायबिटीज़ कैपिटल है। दुनिया में इसका हर छठा मरीज एक भारतीय है। डायबिटीज़ का स्‍टीक इलाज व उपचार प्रक्रिया ढूंढ़ने के लिए इसके विभिन्न कारणाें को समझना महत्वपूर्ण होगा।


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