अब बच्चों को भी भायेगा फल-सब्जियों का ये कुरकुरा स्वाद
एक अनुमान के अनुसार, लगभग 25 फीसद फसल भंडारण या आवागमन में ही खराब हो जाती है।
पालमपुर, मुकेश मेहरा। आमतौर पर बच्चे जिन सब्जियों और फलों को देखकर मुंह चिढ़ाते हैं, अब ये मजेदार और स्वादिष्ट हो जाएंगे। हिमाचल प्रदेश के पालमपुर स्थित सीएसआइआर-आइएचबीटी (काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी) ने ऐसी तकनीक ईजाद की है जो फलों और सब्जियों को कुरकुरी बना देगी। इनका स्वाद स्नैक्स की तरह होगा और खास बात यह है कि न तो इनका रंग बदलेगा और न ही न्यूट्रीशन की कमी होगी। इस तकनीक में सब्जियों और फलों से पानी निकालकर उन्हें डिहाइड्रेट (सूखा) कर दिया जाता है। संस्थान की ओर से तैयार की गई इस तकनीक से इन कुरकुरे फलों और सब्जियों को तीन से चार माह तक आसानी से रखा जा सकता है।
एक अनुमान के अनुसार, लगभग 25 फीसद फसल भंडारण या आवागमन में ही खराब हो जाती है। ऐसे में इस तकनीक के जरिये फलों से पानी निकालकर इन्हें ड्राइ किया जा सकता है। इस तकनीक से फलों व सब्जियों के रंग, स्वाद और सुगंध भी जस की तस रहती है। इसका लाभ सब्जी और बागवानी से जुड़े लोगों को भी होगा।
संस्थान ने फलों व सब्जियों को स्नैक्स की तरह बनाने के लिए 'क्रिस्पी फ्रूट टेक्नोलॉजी' विकसित की है। इसमें फलों व सब्जियों को डिहाइड्रेट कर कुरकुरा बनाया जाता है। इनका स्वाद, रंग और पौष्टिकता जस की तस रहती है। यह तकनीक बागवानी व सब्जी उद्योग को होने वाले नुकसान से बचा सकती है।
-डॉ. संजय कुमार, निदेशक सीएसआइआर-आइएचबीटी पालमपुर
सबके लिए बेहतर खाना
'क्रिस्पी फ्रूट टेक्नोलॉजी' से तैयार इन सब्जियों और फलों को बच्चे हों या बड़े शौक से खा सकते हैं, क्योंकि ये बाजार में मिलने वाले स्नैक्स की तरह होंगे। न्यूट्रीशन की भरपूर मात्रा होने से स्वाद के साथ-साथ पोषण भी मिलेगा। ऐसे में अभिभावकों को भी बच्चों को फल व सब्जियां खिलाने के लिए पीछे नहीं भागना पड़ेगा।
इस तरह काम करती है तकनीक
इस तकनीक में फलों और सब्जियों को डिहाइड्रेट किया जाता है। इस प्रक्रिया में कहीं भी रसायन का प्रयोग नहीं किया जाता। पानी सूखने की वजह से यह बाजार में मिलने वाले स्नैक्स की तरह कुरकुरी हो जाती हैं। स्वाद के अनुसार मीठा या नमक डालकर इन्हें खाया जा सकता है।
तकनीक पर कितना आएगा खर्च
इस तकनीक की मशीनरी लगाने का खर्च फलों और सब्जियों की मात्रा पर निर्भर करता है। आमतौर पर पूरी मशीनरी को बड़े प्रोजेक्ट के रूप में लगाने पर 35 लाख से दो करोड़ रुपये तक खर्च आ सकता है।
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