अब गोपालपुर चिडि़याघर में देख सकेंगे गुजरात के शेर, 38 दिन बाद पिंजरे से बाहर निकाला जोड़ा
चिडिय़ाघर गोपालपुर में लाए गए शेरों के जोड़े को 38 दिन बाद मिट्टी पर पांव रखना नसीब हुआ है।
पालमपुर, जेएनएन। एनिमल एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत गुजरात के जूनागढ़ चिडिय़ाघर से बीती नौ नवंबर को धौलाधार प्रकृति उद्यान एवं चिडिय़ाघर गोपालपुर में लाए गए शेरों के जोड़े को 38 दिन बाद मिट्टी पर पांव रखना नसीब हुआ है। हालांकि इसके बदले जूनागढ़ की टीम गोपालपुर से भालुओं का जोड़ा लेकर गई थी। यहां शेर-शेरनी के जोड़े में शामिल नौ वर्षीय हेमल (नर) व पांच वर्षीय अकीरा (मादा) को सीमेंट एवं लोहे के पिंजरे में बंद रखा गया था।
दैनिक जागरण की ओर से मामला उठाने के बाद इन्हें आजाद करने के लिए शनिवार को मुख्यमंत्री का कार्यक्रम निर्धारित किया गया था, मगर किन्हीं कारणों से मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में वन मंत्री गोविंद ठाकुर ने देहरा के विधायक होशियार सिंह के साथ शेर व चिंकारा के जोड़े को पिंजरे से निकालकर बाड़े में प्रवेश करवाया।
गोपालपुर चिडिय़ाघर में चिंकारा (हिरण प्रजाति) का जोड़ा भी हरियाणा के भिवानी चिडिय़ाघर से लाया गया था। इन्हें भी बदले में एक जोड़ा भालू दिया गया है। इसमें तीन वर्षीय पवन (नर) व तीन वर्षीय वर्षा (मादा) चिंकारा शामिल हैं। अब खुले बाड़े में पर्यटकों को आसानी से शेर और चिंकारा के दीदार हो जाएंगे। गोपालपुर में अब 14 प्रजातियों के जानवर शेर और चिंकारा का जोड़ा आने से अब गोपालपुर चिडिय़ाघर में 14 प्रजातियों के जानवर हो गए हैं। इनमें एशियाटिक शेर, काला भालू, तेंदुआ, जंगली सूअर, हिमालयन घोरल, बार्किंग डिअर, ङ्क्षचकारा, सांभर, लैपरड कैट आदि शामिल हैं।
कम तापमान चुनौती
गुजरात चिडिय़ाघर का तापमान गोपालपुर के मुकाबले लगभग 24-25 डिग्री अधिक है। ऐसे में शेरों के स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े, यह विभाग के लिए बड़ी चुनौती रहेगी। साथ ही यहां शेरों के साथ काम करने का अनुभव प्राप्त अधिकारियों व कर्मचारियों की भी कमी बताई जा रही है।
तेंदुआ व बिल्ली प्रजाति के अन्य जानवरों पर लिखी पुस्तक का विमोचन
वन मंत्री गोविंद ठाकुर ने इस अवसर पर डॉ. संजय कुमार धीमान की पुस्तक 'कैट्स ऑफ हिमालय' का विमोचन किया। डॉ. संजय अब तक 11 पुस्तकें लिख चुके हैं तथा वर्तमान में क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी 'उडऩदस्ता' के पद पर सेवाएं दे रहे हैं। इस पुस्तक में हिमालयी क्षेत्र जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश में पाई जाने वाली अति सुंदर व दुर्लभ बर्फानी तेंदुआ, सामान्य तेंदुआ, तेंदुआ बिल्ली, जंगली बिल्ली, लिंक्स रस्टी बिल्ली व घरेलू बिल्लियों के व्यवहार व रहने के ठिकानों व विलुप्ति के स्तर बारे महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव वन विभाग राम सुभाग सिंह, प्रधान मुख्य अरण्यपाल 'हौफ' अजय कुमार, प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन्य प्राणी विंग डॉ. सविता तथा अरण्यपाल धर्मशाला देवराज कौशल भी उपस्थित रहे।