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संस्कार भी देगी नई शिक्षा नीति : शांता

जागरण संवाददाता धर्मशाला नई शिक्षा नीति 2020 को हिमाचल प्रदेश में लागू करने के लिए स्कूल शिक्षा बोर्ड कार्यालय धर्मशाला में वीरवार को परीक्षा एवं मूल्यांकन विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार मुख्य अतिथि रहे जबकि पंजाब स्कूल बोर्ड के उपाध्यक्ष डा. वरिद्र भाटिया विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता सांसद किशन कपूर ने की।

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 Sep 2021 05:42 AM (IST)Updated: Fri, 10 Sep 2021 05:42 AM (IST)
संस्कार भी देगी नई शिक्षा नीति : शांता
संस्कार भी देगी नई शिक्षा नीति : शांता

जागरण संवाददाता, धर्मशाला : नई शिक्षा नीति 2020 को हिमाचल प्रदेश में लागू करने के लिए स्कूल शिक्षा बोर्ड कार्यालय धर्मशाला में वीरवार को परीक्षा एवं मूल्यांकन विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार मुख्य अतिथि रहे, जबकि पंजाब स्कूल बोर्ड के उपाध्यक्ष डा. वरिद्र भाटिया विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता सांसद किशन कपूर ने की।

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इस मौके पर डा. भाटिया ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विद्यार्थियों के विकास को स्थान दिया गया है। पंजाब में नई शिक्षा नीति लागू होने से पूर्व ही प्री-एजुकेशन, डिजिटल एजुकेशन व स्मार्ट क्लास रूम शुरू कर दिए थे और इस कारण ही पंजाब को पहला स्थान मिला है। शांता कुमार ने कहा कि आजादी के बाद भी कुछ बदलाव के साथ पुरानी नीति चलाना दुखदायी रही। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बच्चों का बोझ कम किया गया है और उनके सर्वागीण विकास की बात कही गई है। भारतीय शिक्षा नीति को राष्ट्रस्तरीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने के विचार से बनाया है। इससे बच्चों का सर्वागीण विकास होगा, अच्छे नागरिक बनेंगे और संस्कार भी दिए जाएंगे। बकौल शांता, विद्यार्थी में विवेक होना आवश्यक है। कहा कि पंजाब तो उड़ता पंजाब बन गया और अब हिमाचल भी उड़ता हिमाचल बन रहा है। तर्क दिया कि बच्चे पहले परिवार में दादा-दादी, नाना-नानी के पास बैठते थे, अब हर बच्चे के हाथ में मोबाइल फोन आ गया, अब सुनने का समय नहीं है। नई पीढ़ी संस्कारविहीन हो गई है। जब भी ऐसी बातें सुनने को मिलती हैं तो रोंगटे खड़े कर देती हैं। तर्क दिया कि कानून हत्यारे को सजा दे सकता है, लेकिन उसे सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित नहीं कर सकता है। संस्कारविहीन होती पीढ़ी को कैसे बचाया जाए? कहा कि बहुत वर्ष पहले ही उन्होंने व अन्य सांसदों ने प्रधानमंत्री से मिलकर योग और नैतिक शिक्षा को अनिवार्य शिक्षा बनाए जाने की बात रखी थी। योग से देश में स्वास्थ्य पर खर्च होने वाला बजट 10 साल में आधा रह जाएगा और ऐसे में अरबों रुपये बचेंगे। बकौल शांता, पालमपुर में योग सेंटर में अमेरिका से लोग सीखने आते हैं। स्वामी विवेकानंद कहते थे कि राष्ट्र निर्माण के लिए मनुष्य, मनुष्य और मनुष्य चाहिए, जो राष्ट्र भक्त हों। आज भारत में सबकुछ है, लेकिन देशभक्त चाहिए लेकिन वे नहीं हैं। इस मौके पर शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष डा. सुरेश कुमार सोनी व सचिव अक्षय सूद सहित अन्य मौजूद रहे।


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