विपक्ष की अनुपस्थिति में गिरा अविश्वास प्रस्ताव
विपक्षी दल कांग्रेस व माकपा का सरकार के विरुद्ध लाया गया अविश्वास प्रस्ताव वीरवार को ध्वनिमत से गिर गया। चर्चा के लिए कम समय देने का आरोप लगाकर विपक्ष ने मुख्यमंत्री का जवाब सुने बगैर सदन से वाकआउट किया था।
शिमला, राज्य ब्यूरो। विपक्षी दल कांग्रेस व माकपा का सरकार के विरुद्ध लाया गया अविश्वास प्रस्ताव वीरवार को ध्वनिमत से गिर गया। चर्चा के लिए कम समय देने का आरोप लगाकर विपक्ष ने मुख्यमंत्री का जवाब सुने बगैर सदन से वाकआउट किया था। इससे पहले अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कई बार टकराव की स्थिति पैदा हुई। सत्ता पक्ष व विपक्ष में तीखी नोकझोंक होती रही।
विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने निर्धारित समय तीन बजे के स्थान पर 3.45 बजे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को चर्चा का जवाब देने के लिए कहा। इस पर विपक्षी विधायक खड़े होकर नारेबाजी कर समय बढ़ाने और कांग्रेस के अन्य विधायकों को भी बोलने देने के लिए दवाब बनाने लगे। इस दौरान दोनों पक्षों ने जमकर नारेबाजी की। अध्यक्ष ने विपक्ष की मांग को अस्वीकार कर मुख्यमंत्री को जवाब देने के लिए कहा। उनके बोलने से पहले ही विपक्षी सदस्यों ने सदन से नारेबाजी करते हुए वाकआउट कर दिया। विपक्ष की अनुपस्थिति में पौने पांच घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि संख्या बल ही नहीं, तर्क के आधार पर भी मंत्रियों और विधायकों ने विपक्ष को मुंहतोड़ जवाब दिया है। अब जनता भी चुनाव में जवाब देगी। पांच-पांच साल में सरकार बदलने का रिवाज बदलेंगे और सत्ता में वापसी करेंगे। इससे पहले वीरवार सुबह सदन की कार्यवाही 11 बजे शुरू हुई। विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने चर्चा की शुरुआत करते हुए सरकार को घेरा। मंत्रियों व सत्ता पक्ष के विधायकों ने सरकार का बचाव करने के साथ कांग्रेस की पूर्व सरकार को कठघरे में खड़ा किया।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि उन्हें मालूम था कि यही होने वाला है। विषय की गंभीरता और नियमों का पालन करते हुए चर्चा की व्यवस्था दी गई और सरकार ने भी सहजता व सरलता से उसे स्वीकार किया। यह विचित्र है कि जिस तरह से महत्वपूर्ण प्रस्ताव लाया गया तो उनकी तरफ से ही प्रस्ताव के लिए गंभीरता शून्य रही। कांग्रेस के ही कई लोग पश्चाताप कर रहे थे कि एक-दो सदस्यों के दबाव में वह इस प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं। इससे उनकी फजीहत हुई है। कांग्रेस के नेतृत्व में बिखराव है और सभी लोग नेता बनने की होड़ में लगे हैं। पंजाब में जो चन्नी की हालत है, वही इनकी है। दो जगह से चुनाव लड़े और दोनों से हार गए। तथ्यों के आधार पर बात कहनी चाहिए मगर वे झूठ बोल रहे हैं और उन्होंने केवल राजनीतिक उद्देश्य से ऐसा किया। पुलिस भर्ती हो या अन्य मामले चाहे कोई भी हो, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। बदले की भावना से कोई कार्य नहीं किया है।