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पुरानी बसों को चलाने के लिए स्टाफ नहीं, 205 और खरीदेगी सरकार

हिमाचल प्रदेश में पुरानी बसों को चलाने के लिए स्टाफ नहीं है और सरकार अब 205 और बसें खरीद रही है। परमिट न होने से 325 नई बसें धूल फांक रही हैं। जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय नवीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत प्रदेश सरकार को केंद्र से 791 बसें मिली थीं।

By Virender KumarEdited By: Published: Sun, 05 Sep 2021 10:17 PM (IST)Updated: Sun, 05 Sep 2021 10:17 PM (IST)
पुरानी बसों को चलाने के लिए स्टाफ नहीं, 205 और खरीदेगी सरकार
प्रदेश सरकार 205 और जेएनएनयूआरएम बस खरीदेगी। जागरण आर्काइव

शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल प्रदेश में पुरानी बसों को चलाने के लिए स्टाफ नहीं है और सरकार अब 205 और बसें खरीद रही है। परमिट न होने से 325 नई बसें धूल फांक रही हैं। जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय नवीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत प्रदेश सरकार को केंद्र से 791 बसें मिली थीं। 2013 से 2015 तक 223 करोड़ रुपये की ये बसें दी गई। स्टाफ नहीं होने से इसमें से 325 नई बसें सात साल तक धूूल फांकती रहीं। इसके बाद इनमें से कुछ को पुरानी हो चुकी बसों को हटाकर चलाया गया। 2020 तक इनमें 57 बसें खड़ी थीं।

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कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में प्रदेश के शहरी क्षेत्रों के 13 कलस्टर में ये बसें चलाई जानी थीं, लेकिन प्रदेेश में आते ही इनमें से 325 से अधिक बसें खड़ी हो गई। 2020 में कोरोना महामारी आने से पहले हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी)की 57 बसें बेकार खड़ी थी। इनको चलाने के लिए निगम प्रबंधन के पास पर्याप्त स्टाफ नहीं था। शनिवार को हिमाचल मंत्रिमंडल की बैठक में नई बसों की खरीद को लेकर तर्क दिया गया है कि पुरानी हो चुकी बसों की जगह नई की खरीद करना आवश्यक है। इस समय एचआरटीसी के पास 300 चालकों व 700 परिचालकों की कमी है।

कैग ने भी उठाए हैं बिना स्टाफ खरीद पर सवाल

भारत के महालेखाकार एवं नियंत्रक (कैग) की ओर से बसों की खरीद को लेकर आडिट किया गया। रिपोर्ट में सामने आया कि प्रदेश सरकार ने केंद्र से 223 करोड़ रुपये की बसों की खरीद तो कर ली, लेकिन इनको चलाने के लिए संपूर्ण व्यवस्था यानी स्टाफ व रूट परमिट नहीं थे। परिणामस्वरूप हिमाचल पथ परिवहन निगम प्रबंधन ने किसी झमेले से बचने के लिए खड़ी बसों को एक दिन छोड़कर चलाने का तंत्र विकसित किया। आडिट रिपोर्ट में कहा गया कि जरूरत से अधिक बसें क्यों ली गई? केंद्र सरकार ने राज्यों को बसें कर्ज के आधार पर दी थी।

नौ लाख किलोमीटर चली बसें बसें हटेंगी

205 नई बसों की खरीद के पीछे तर्क दिया गया है कि पुरानी बसें जोकि नौ लाख किलोमीटर चल चुकी हैं या फिर नौ साल से चल रही थी, ऐसी बसों को परिवहन निगम के बेड़े से हटाया जाएगा। इनकी जगह नई को बसों को बेड़े में शामिल किया जाएगा।

निजी आपरेटर को परमिट एक दिन में

परिवहन विभाग निजी बस आपरेटरों को नया परमिट एक-दो दिन में जारी करता है। जबकि राज्य परिवहन निगम प्रबंधन की ओर से 150 नए रूट पर बसें चलाने के लिए रूट परमिट के लिए आवेदन किया हुआ है, मगर निगम को परमिट नहीं दिए गए।

उस समय सरकार ने 1123 नई बसों की खरीद करने के लिए डीपीआर तैयार करके भेजी थी। केंद्र सरकार ने 791 बसें दी थी। जहां तक बसें खड़ी रहने का सवाल है तो इसके पीछे कई तरह के षड्यंत्र हुए थे।

-जीएस बाली, पूर्व परिवहन मंत्री।

जिन बसों की बुक वेल्यू पूरी हो चुकी है, उनकी जगह नई बसें लेंगी। यह सामान्य प्रक्रिया है कि पुरानी बसों को हटाकर नई बसें परिवहन निगम के बेड़े में शामिल होती हैं। कुछ नई बसें भी निगम को दी जाएंगी।

-बिक्रम ङ्क्षसह, परिवहन मंत्री।


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