असमंजस: तीन महीने का किराया माफ करने का प्रस्ताव पारित कर भूला ज्वालामुखी नगर परिषद प्रशासन
Municipal Council Jawalamukhi पांच महीने बाद भी नगर परिषद ज्वालामुखी की अोर से दुकानदारों का मार्च अप्रैल मई महीने का किराया माफ करने संबंधित प्रस्ताव पर अमलीजामा नहीं पहनाया गया है। ग्रामीण विकास मंत्रालय की मंजूरी न मिलने से किराया माफ करने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
ज्वालामुखी, प्रवीण कुमार शर्मा। नगर परिषद ज्वालामुखी की अोर से दुकानदारों का मार्च, अप्रैल, मई महीने का किराया माफ करने संबंधित प्रस्ताव पर अमलीजामा नहीं पहनाया गया है। ग्रामीण विकास मंत्रालय की मंजूरी न मिलने से किराया माफ करने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। प्रशंगवस परिषद की बैठक में सर्वसम्मति से लिए गए इस फैसले के अधर में लटकने से दुकानदारों की किराया माफ होने की हसरतें धरी की धरी रह गई हैं। दुकानदार पशोपेश में हैं कि वे दुकानों का किराया भरें या नहीं।
हालांकि किराया माफ होने संबंधी प्रस्ताव पर स्थिति स्पष्ट न होने की वजह से नगर परिषद के किरायेदार कुछ दुकानदारों ने अपना किराया संबंधित कार्यालय में जमा भी करवा दिया है। लेकिन बहुत सारे दुकानदार इसी गफलत में हैं कि नगर परिषद किराया माफ कर चुकी है। जानकारी है कि किराया देने गए कुछ दुकानदारों को परिषद की तरफ से साफ कर दिया गया है कि पहले की ही तरह यदि दुकानदार नियमित रूप से अपना किराया नहीं देंगे तो उनसे पैनल्टी भी वसूल की जाएगी।
ज्ञात हो कोरोना संक्रमण के कारण मार्च, अप्रैल, मई तक ज्यादातर दुकाने नहीं खुलने के कारण अपने किरायेदार दुकानदारों को राहत देने के लिए नगर परिषद ज्वालामुखी ने सर्वसम्मति से इन तीन महीनों का किराया माफ करने को लेकर प्रस्ताव पारित किया था। नगर परिषद की ज्वालामुखी में 150 के करीब दुकानें हैं, जिनका 3 महीने का किराया 12 लाख के करीब बनता है। अपनी आय के सीमित संसाधन होने के बाबजूद नगर परिषद के तमाम पार्षदों ने एकजुटता के साथ दुकानदारों को राहत पहुंचाने के लिए यह प्रस्ताव पारित करवाया था। प्रस्ताव पारित होने के 52 दिन बीत जाने पर भी मंत्रालय की मंजूरी नहीं मिलने से किराया माफ होने को लेकर स्थिति साफ नहीं हो पा रही है।
नगर परिषद ज्वालामुखी की अध्यक्ष भावना सूद का कहना है 22 मई को एक विशेष बैठक करके संकट से गुजर रहे दुकानदारों को राहत देने के लिए किराया माफ करने को लेकर प्रस्ताव सरकार को भेजा था। अभी तक इस प्रस्ताव पर मंजूरी नहीं मिली है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि किराया माफ हो चुका है या होगा दुकानदारों को चाहिए कि नियमित रूप से किराया देते रहें। विभाग की मंजूरी मिली तो इसे बाद में भी एडजस्ट किया जा सकता है।
नगर परिषद कार्यकारी अध्यक्ष कंचन वाला का कहना है दुकानदारों का किराया माफ करने को लेकर प्रस्ताव पारित हुआ था। इस पर मंजूरी ग्रामीण विकास मंत्रालय ने देनी होती है। परिषद के पास व्यक्तिगत तौर पर यह अधिकार नहीं होता कि इन मामलों में खुद निर्णय ले सके। हमने किसी भी दुकानदार को आधिकारिक तौर से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष ढंग से यह नहीं कहा तीन महीने का किराया माफ किया जा चुका है। यह कहा गया था कि सरकार को प्रस्ताव भेजा है। यदि मंजूरी मिली तो किराया माफ किया जाएगा। दुकानदार तय समय पर किराया भरें। यदि प्रस्ताव पर हां हुई तो उनके द्वारा दिए गए तीन महीने के किराये को अगले महीनों में समाहित किया जा सकता है। मंजूरी नहीं मिलने तक किराया नहीं भरा जाएगा तो नगर परिषद पैनल्टी के साथ किराया लेने को बाध्य होगी।
नगर परिषद जवालामुखी के पार्षद ज्योति, शंकर शर्मा, आशुतोष कपूर, सुखविंदर सिंह, मनीषा शर्मा, पूर्व पार्षद सूक्षम सूद ने सरकार से आग्रह किया है कि नगर परिषद के प्रस्ताव पर अनुमति देकर दुकानदारों को राहत दी जाए। सरकार स्पष्ट करे कि पारित हुए प्रस्ताव पर क्या कदम उठाया गया है।