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मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने बगलामुखी माता मंदिर में किया शत्रु बाधा निवारण यज्ञ, दाे माह पहले आई थी पत्‍नी

मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ बुधवार को परिवार समेत हिमाचल पहुंचे। उन्‍होंने जिला कांगड़ा के बनखंडी स्थित मां बगलामुखी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 08:17 AM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 03:34 PM (IST)
मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने बगलामुखी माता मंदिर में किया शत्रु बाधा निवारण यज्ञ, दाे माह पहले आई थी पत्‍नी
मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने बगलामुखी माता मंदिर में किया शत्रु बाधा निवारण यज्ञ, दाे माह पहले आई थी पत्‍नी

धर्मशाला, जेएनएन। मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ बुधवार को परिवार समेत हिमाचल पहुंचे। उन्‍होंने जिला कांगड़ा के बनखंडी स्थित मां बगलामुखी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की। बताया जा रहा है उन्‍होंने शत्रु बाधा निवारण, देश रक्षा और राजनीतिक विजय के लिए तीन यज्ञ किए। पुजारियों ने बताया दो माह पूर्व उनकी पत्‍नी यहां आई थीं व विशेष पूजा कर मन्‍नत मांगी थी, जो पूरी हो गई। इसके बाद पीएम प्रविंद जुगनाथ भी खुद को यहां आने से नहीं रोक पाए। मंदिर के पुजारियों ने करीब दो घंटे विशेष पूजा करवाई, जिसमें डेढ़ घंटे तक यज्ञ चला व इसके बाद मंदिर परिक्रमा की गई।

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कांगड़ा के गगल स्थित एयरपोर्ट पर पहुंचने पर उनका प्रशासन की तरफ से उपायुक्‍त राकेश प्रजापति और एसपी विमुक्‍त रंजन ने स्‍वागत किया। गगल एयरपोर्ट से उनका शिव मंदिर बैजनाथ जाने का कार्यक्रम था, लेकिन वह बनखंडी चले गए। प्रशासन ने उनका भव्‍य स्‍वागत किया। प्रशासनिक अधिकारियों का एक दल उनके साथ्‍ा ही मौजूद रहा।

25 दिसंबर 1961 को मॉरीशस में उनका जन्‍म एक उच्च वर्ग के हिंदू यादव परिवार में हुआ था। प्रविंद के पिता अनिरुद्ध जुगनाथ एक प्रसिद्ध बैरिस्टर थे, जो मॉरीशस के दूसरे प्रधानमंत्री भी बने। इनकी माता सरोजिनी बल्लाह एक स्कूल में शिक्षक थीं। प्रविंद जुगनाथ की बड़ी बहन शालिनी जुगनाथ का विवाह डॉक्‍टर किशन मल्होत्रा ​​से हुआ है।

इनका परिवार उत्तर प्रदेश में बलिया जिले से संबंधित है। बताया जाता है प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ के दादा जब वह मात्र पांच साल के थे व उनके बड़े भाई जो 16 साल के थे, कोलकाता के लिए रवाना हुए व वहां से मॉरीशस के लिए चले गए। इसके बाद वह वहीं बस गए। प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ का भारतीय संस्‍कृति से लगाव है व यही लगाव उन्‍हें हिमाचल के देव स्‍थलों में पूजा अर्चना करने के लिए खींच लाया है।

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